210B: वाशिंदे ही क्यों-अफसर क्याें नहीं

210B सीईओ कैंट ने खड़े किए हाथ
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210B: वाशिंदे ही क्यों-अफसर क्याें नहीं, मेरठ छावनी स्थित बंगला 210B में जो कुछ हुआ उसकी सजा वहां जिंदगी भर की कमाई लगा देने वालों को ही क्यों मिले। कैंट प्रशासन के उन अफसरों की सजा कब दी जाएगी, जिनके कार्यकाल में बंगला 210B को छोटे-छोटे भूखंडों में बांटकर वहां पूरी कालोनी ही काट दी गयी। यह काम कोई एक दिन या रातों रात नहीं कर दिया गया, इसलिए तत्कालीन अफसर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। इससे भी इतर एक और बात वो यह कि कोर्ट ने 29 जनवरी 2014 को अदालत 210B के प्रकरण में अपने आदेश में सबसे पहले कैंट प्रशासन के उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है जो इसके लिए जिम्मेदार थे। जिन्होंने भारत सरकार से डयूटी करनी की एवज में भारी भरकम तनख्वाह तो पायी लेकिन डयूटी नहीं की। ऐसे तमाम अफसरों पर कार्रवाई को अदालत ने तत्कालीन रक्षा सचिव को लिखा था। इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि 210B ध्वस्त किए जाने के लिए एक नहीं दो बार आदेश दिए गए हैं। 29 जनवचरी 2014 को पहला आदेश आया। उसके बाद विपक्षीगण की याचिका पर डबल बैंच ने सुनवाई की। डबल बैंच ने पूर्व में सिंगल बैंच के आदेश को यथावत रखते हुए 1 मार्च 2016 को दूसरा आदेश दिया। 210B को लेकर रक्षा मंत्रालय से सबसे पहले इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर ही कार्रवाई किए जाने के आदेश दिए और रक्षा मंत्रालय के सचिव को भी पत्र लिखा। लेकिन कार्रवाई के 210B के अवैध निर्माण के लिए जिन अफसरों पर कार्रवाई की बात अदालत ने अपने आदेश में कही कोर्ट के आदेश पर उच्च पदस्थ कुंडली मारकर बैठ गए। अफसरों पर कार्रवाई के नाम पर अब सांप सूंध जाता है। हां 210B ध्वस्त करने के नाम पर मुनादी-मुनादी का खेल जरूर जारी है। लेकिन जो कुछ सुनने में आ रहा है उसकी मानें तो यह खेल नहीं बल्कि कैंट बोर्ड के कुछ स्टाफ की एक तयशुदा रणनीति है। 210B के अवैध निर्माणों को बचाने के नाम पर भारी भरकम उगाही के आरोप लगाए जा रहे हैं।

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