22B-कांड में सजा का बना मखौल

कैंट बोर्ड: 75 करोड़ फिर भी बदहाल
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22B-कांड में सजा का बना मखौल, देश भर की छावनियों में मेरठ छावनी के दामन को दागदार कराने वाले बंगला 22B  ट्रेड लाइसेंस कांड के कसूरवारों पर कार्रवाई के नाम पर अफसरों ने ही सजा का मखौल बनाकर रख दिया। कैंट बोर्ड कर्मचारी सेवा नियमावली 2021 के आधीन कर्मचारियों की सेवा संचालित होती हैं। जिसके तहत आरोपी स्टाफ को सजा से पूर्व चार्जशीट व सस्पेंशन का अनिवार्य प्रावधान है। अब आते हैं बंगला 22B की क्रॉनालॉजी पर। जांच में इसमें चार कसूरवार माने गए। इस पूरे मामले को लेकर अब कानूनी कार्रवाई की शुरूआत करने जा रहे एडवोकेट संदीप पहल के बकौल ट्रेड लाइसेंस कांड में सेनेट्री सेक्शन हेड वीके त्यागी, सेनेट्री इंस्पेक्टर अभिषेक गंगावार, इंजीनियरिंग सेक्शन हेड एई पीयूष गौतम व जेई अवधेश यादव बराबर के कसूरवार माने गए, लेकिन चारों दोषियों में से सस्पेंशन की कार्रवाई केवल सेनेट्री इंस्पेक्टर पर, तो सवाल तो पूछा जाएगा। 22B की संपत्ति करोड़ों की है। आरोपी कर्मियों से इसके राजस्व हानि की भरपाई छावनी कर्मचारी सेवा नियमावली 2012 के नियम 10 (2) के तहत कराने का निर्णय लिया जाना था, लेकिन मात्र एक माह का वेतन या तीन वेतनवृद्धि रोकने भर से भारत सरकार को हुई राजस्व की भरपाई कैसे की जा सकती है। यह भरपाई आरोपियों से ब्याज सहित वसूली की भरपाई से ही संभव है। लेकिन बड़ा सवाल कि क्या कैंट बोर्ड प्रशासन के आला अफसर इसका साहस दिखा पाएंगे। बकौल संदीप पहल निर्णय-24- दिनांक 13 जुलाई 2022 पूरी तरह से असंवैधानिक है। इससे भी बड़ा खुलासा कैंट क्षेत्र में 575 अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई न कर भारत सरकार को अरबों के राजस्व की हानि का पहुंचाना। ये तमाम मामले जो शिकायत रक्षा मंत्रालय को भेजी गयी है, उसकी जांच के दायरे में शामिल हैं। सबसे बड़ा खुलासा यह कि 575 अवैध निर्माणों की रिपार्ट का न किया जाना। ऐसा किस के इशारे पर किया गया और इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं। कैंट एक्ट के तहत ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई हो, जांच के दौरान यह देखना होगा,  क्या 575 अवैध निर्माण मामलों में कार्रवाई में  ईमानदारी बरती जाएगी।

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