370 हटने के बावजूद 118 की हत्या

370 हटने के बावजूद 118 की हत्या
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370 हटने के बावजूद 118 की हत्या, नई दिल्ली। सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे. जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने  कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के कर्मचारियों को हाल ही में मिली आतंकी धमकियां प्रदेश में सामान्य स्थिति के सरकार के दावों को झुठलाती हैं. आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध समूह द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) से जुड़े एक ब्लॉग द्वारा उन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की एक अलग सूची जारी की गई है, जिनकी भर्ती प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत हुई थी. उन्हें धमकी दी गई है कि उनकी कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल दिया जाएगा.जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) की प्रवक्ता दीपिका सिंह राजावत ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, ‘हाल ही में टीआरएफ द्वारा ‘हिट लिस्ट’ जारी की गई, हम उपराज्यपाल से यह बताने के लिए कह रहे हैं कि ये कर्मचारी ऐसी परिस्थितियों में अपने काम पर वापस कैसे जा सकते हैं?’राजावत जो कि खुद भी एक कश्मीरी पंडित हैं, ने कहा, ‘मैं उन्हें याद दिलाना चाहती हूं कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जीवन और मृत्यु का मामला है. हम पूरे देश में अपने राजनीतिकरण से तंग आ चुके हैं.’ मालूम हो कि बीते 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन कर कर्मचारियों के लीक हुए विवरणों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी. प्रकाशित सूची में कश्मीरी पंडितों पर हमले की धमकी दी गई थी. आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं और 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे जम्मू स्थित पुनर्वास आयुक्त कार्यालय के बाहर डेरा डाले हैं.

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