मंजू गोयल की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण स्मरण, मेरठ छावनी परिषद के वार्ड छह से बोर्ड की मेंबर रहीं मंजू गोयल की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर तमाम लोगों की आंखें नम हो गईं। कहा जाता है कि कोई शख्स आम लोगों के बीच में क्या मायने रखता है, इसका अंदाजा उसके ना होने से पता चलता है। कुछ ऐसा ही करूणा की मूरत मानी जाने वाली मंजू गोयल के साथ हुआ। कैंट बोर्ड की राजनीति की खींचतान हो या फिर सामाजिक कामों से सरोकार अथवा धर्म परायण होना। मंजू गोयल की यदि बात की जाए तो ऐसा लगता था कि मानों वह दलगत या कहें कि कैंट बोर्ड की जो राजनीतिक दलदल थी उसमें वह कमल के सामन दिखती थीं, दलदल में रहकर भी जिस प्रकार से कीचड़ कमल को छू तक नहीं पाती थी, वैसा ही स्वभाव मंजू गोयल का था। वो कभी भी राजनीतिक कीचड़ का हिस्सा नहीं रहीं। सभी को सम्मान देती थीं भले ही वह विरोधी हो। उनकी इस प्रवृत्ति की तारीफ विरोधी भी पीठ पीछे किया करते थे।
अब यदि सामाजिक सरकारों मसलन लोगों की मदद की बात की जाए तो इसमें उनका कोई सानी नहीं था। लोग आज भी उनकी दया भावना को याद करते द्रवित हो जाते हैं। वो सच्चे मायनों में बेसहारों का सहारा थीं। पुण्यतिथि पर तमाम ऐसे लोग मिले, जो आज भी उनकी कमी को शिद्दत से महसूस करते हैं। वो किसी की मां थी तो किसी की बहन और बेटी। सभी के लिए वो अलग-अलग मायने रखती थीं, लेकिन एक बार साझी थी कि वो सभी के काम आया करती थीं। दुख-दर्द की साझीदार हुआ करती थीं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता धर्मपरायण होना। वह सभी धर्मों का सम्मान व आदर करने वाली थीं। एक बार अनौपचारिक बातचीत में मंजू गोयल ने कहा था कि ईश्वर एक है। यह सृष्टि उसी की है। हम सब उसी की संतान है। वो जब चाहे हमें बुला सकता है। उनकी बातें सुनकर नहीं लगता था कि घर परिवार सरीखी नजर आने वाली मंजू गोयल इतनी गूढ़ धर्म चर्चा भी कर सकती हैं। आज वो हमारे बीच नहीं। लेकिन वो हमेशा दिलों में जिंदा रहेंगी। यही उनको भावपूर्ण नमन व स्मरण है।