जेल में बंद राहुल गौड की संपत्ति की जांच

गुड वर्क के लिए बेड एक्ट-एडीजी ने बैठा दी जांच
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जेल में बंद राहुल गौड की संपत्ति की जांच,

-डीएम का ज्वाइंट कमिश्नर फूड को विभागीय अनुमति को पत्र
-लखनऊ बिजिलेंस की टीम करेंगी फूड लिपिक राहुल की संपत्ति की जांच
-बीते तीन माह से सलाखों के पीछे है आरोपी लिपिक, अदालत ने भेजा है जेल
-साल 2017 में गंगा नगर स्थित आरएफसी के गोदाम पर पकड़ा गया थी तीन ट्रक खाद्यान

मेरठ।  राशन की काला बाजारी के आरोप में पहले से जेल में बंद आरएफसी के लिपिक के खिलाफ लखनऊ बिजिलेंस की टीम ने आय से अधिक संपत्ति की जांच शुरू कर दी है। वहीं दूसरी ओर 4 मई को जिलाधिकारी दीपक मीणा ने इस संबंध में एक पत्र ज्वाइंट कमिश्नर फूड को पत्र लिखा है। आरएफसी के जिस लिपिक के खिलाफ लखनऊ बिजिलेंस की जांच हो रही है राहुल गौड नाम के उस लिपिक को अदालत ने सुनवाई के दौरान करीब तीन माह पहले जेल भेजा है। उनके खिलाफ यह पूरा मामला 31 अगस्त साल 2017 से चल रहा है। आरोप है कि डीसी फूड कार्यालय में तैनात एक ऊर्दू अनुवादक लिपिक की मदद के चलते राहुल गौड अरसे से खुद को शिकंजे से बचाते रहे, लेकिन बाद में यह मामला सीएम कार्यालय तक पहुंचा गया तो शिकंजा कसने में देर नहीं लगी ओर उन्हें जेल भेज दिया।
ऐसे फंसे थे शिकंजे में:
माह अगस्त साल 2017 में आरएफसी के मवाना रोड गंगानगर स्थित गोदाम तृतीय पर तीन ट्रक खाद्यान पकड़ा गया था। यह खाद्यान कालाबाजारी के लिए मेरठ से हरियाणा के करनाल भेजा जाना था। लेकिन इससे पहले कि यह खाद्यान यहां से रवाना किया जाता प्रशासन के तत्कालीन आला अधिकारियों तक किसी प्रकार यह खबर पहुंच गयी। जिसके बाद वहां आरएमओ फूड मेरठ दिनेश चंद्र मिश्र, बागपत के तत्कालीन डीसी सरीखे तीन बडेÞ अफसर पहुंच गए। प्रारंभिक जांच के इस मामले में 31 अगस्त 2017 को एफआईआर का दी गयी। दूसरी एफआईआर इसी मामले में 2018 करायी गयी। इनमें मुख्य आरोपी आरएफसी लिपिक राहुल गौड व चपरासी हिमांशु को बनाया गया।
अब आय से अधिक संपत्ति की जांच:
जेल भेजे गए राहुल गौड अब आय से अधिक संपत्ति की जांच में फंस गए हैं। लखनऊ स्थिति अपर पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निवारक संगठन उत्तर प्रदेश से आरटीआई एक्टिविस्ट कुलदीप शर्मा ने इस संबंध में तफसील से चर्चा की थी। बकौल कुलदीप शर्मा उन्हें यह भी अवगत कराया गया कि राहुल गौड को 31 अगस्त साल 2017 जिस मामले में जेल भेजा गया है वह खाद्यान की कालाबाजारी का है। मेरठ स्थिति आरएफसी के गोदाम थर्ड गंगानगर से तीन ट्रकों में भरकर गेंहू व चावल हरियाणा के करनाल भेजा जा रहा था। आरएफसी कार्यालय में तैनाती के दौरान आरोपी ने अकूत संपत्ति अर्जित की। जिसकी जांच कराया जाना जरूरी है। माना जा रहा है कि उसके बाद ही अपर पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निवारक संगठन उत्तर प्रदेश लखनऊ ने जिलाधिकारी मेरठ से जेल में बंद राहुल गौड के संबंध में जानकारी तलब की है और डीएम ने जेसी फूड को पत्र लिखकर अपर पुलिस महानिदेशक भ्रष्टाचार निवारक संगठन उत्तर प्रदेश कथित आरोपी लिपिक के संबंध में जांच में सहयोग को कहा है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि बिजिलेंस की जांच के बाद कथित आरोपी के बचने के तमाम रास्ते सीमित रह जाएंगे या फिर बंद हो जाएंगे।
मददगारों पर भी शिकंजा:
आरएफसी कार्यालय में तैनाती के दौरान जो कुछ कारगुजारियां की गयीं, उन कारगुजारियों में भी हिस्सेदार व मददगार थे, उन सभी बिजिलेंस टीम के शिकंजे की बात कही जा रही है। आरोप है कि आरएफसी के गंगा नगर स्थित गोदाम से पकडेÞ गए तीन ट्रक खाद्यान मामले के सामने आने के बाद ऐसे कई अन्य नाम भी सामने आए जिनके बारे में कहा गया कि उन्होंने इस मामले के मुख्य किरदार लिपिक राहुल गौड व चपरासी हिमांशु को बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। ऐसे ही मददगारों में एक नाम जेसी फूड कार्यालय में तैनात ऊर्दू अनुवादक का भी लिया जा रहा है। उक्त लिपिक पर भी बचाव के लिए कई गंभीर गलतियां किए जाने के आरोप हैं। इनमें बड़ा आरोप उन ट्रकों की नंबर प्लेट बदलने का है जिनमें काला बाजारी के लिए ले जाया जा रहा गेंहू पकड़ा गया था।
यह कहना है ज्वाइंट कमिश्नर फूड का
राहुल गौड की जांच को लेकर डीएम के लेटर के मुतालिख जब डीसी फूड विनय कुमार से जानकारी ली गयी तो उनका कहना था कि राहुल गौड नाम का जो कर्मचारी है उसकी जांच से अधिक संपत्ति की जांच का जो पत्र जिलाधिकारी मेरठ द्वारा भेजो गया बताया जा रहा है उसकी अभी जानकारी नहीं, इस संबंध में शुक्रवार को पत्र देखने के बाद ही कुछ बता सकेंगे। वैसे राहुल गौड की जहां तक आय से अधिक संपत्ति की जांच की बात है तो संभवत वह अनुमति आरएफसी स्तर से दी जानी चाहिए।

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