निलंबन बहाली को कोर्ट में दी चुनौती,
-अपर शिक्षा निदेशक राजकीय व संयुक्त शिक्षा निदेशक महिला करेंगे जांच
-अपर शिक्षा निदेशक से मिले चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधक रमेश गिल
चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल की प्रबंध समिति द्वारा निलंबित की गयी प्रधानाचार्या की बहाली की बीएसए मेरठ की जांच का हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। इस संबंध में प्रबंध समिति के सचिव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं दूसरी ओर बीएसए की जांच में प्रधानाचार्या की बहाली के आदेश के इतर शासन के अपर शिक्षा निदेशक संजय कुमार ने भी दो सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी में अपर शिक्षा निदेशक राजकीय व संयुक्त शिक्षा निदेशक महिला शामिल की गयी है। दरअसल बीते 25 सितंबर को चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल ठठेरबाड़ा मेरठ की प्रबंध कमेटी के प्रबंधक इलाहाबाद में अपर शिक्षा निदेशक से मिले थे।
प्रबंध समित ने जतायी आशंका
वहीं दूसरी ओर इस मामले में चर्च सिटी स्कूल की प्रबंध समिति ने आशंका जतायी है कि बीएसए से मिली राहत के चलते प्रधानाचार्य कोर्ट की शरण ले सकती हैं। प्रबंध समिति के स्तर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर स्थगनादेश हासिल कर सकती हैं। चर्च सिटी के सचिव रमेश गिल ने जानकारी दी कि बीएसए कार्यालय द्वारा निर्णय की जानकारी रजिस्टर्ड डाक द्वारा भेजे जाने की जानकारी उन्हें मिली है, लेकिन 18 सितंबर तक उन्हें कोई भी रजिस्टर्ड डाक इस संबंध में नहीं प्राप्त हुई है। रमेश गिल ने आशंका जतायी कि इन्हीं तमाम चीजों के चलते प्रबंध समिति द्वारा निलंबित की गयी प्रधानाचार्या को कोर्ट की मार्फत राहत का मौका प्रदान करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जा रही है। रमेश गिल ने इसको अनुचित बताया। साथ ही कहा कि जो आरोप प्रबंध समिति ने प्रधानाचार्य पर लगाए हैं उस पर प्रबध समिति कायम है और जरूरत पड़ी तो प्रबंध समिति भी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
ये हैं आरोप प्रधानाचार्य पर
बकौल सचिव रमेश गिल प्रधानाचार्य पर स्कूल व प्रबंध समिति के प्रति अनर्गल दुष्प्रचार करने के अलावा जो शैक्षणिक प्रमाण पत्र दाखिल किए गए हैं उन पर जो सवाल उठाए गए हैं उन पर भी प्रबंध समिति कायम हैं। उन सवालों का उत्तर अभी तक प्रधानाचार्य ने नहीं दिया है। उनका कहना है कि जो कुछ हुआ है वह उचित नहीं ठहराया जा सकता।
ये कहना है सचिव का
चर्च सिटी जूनियर हाईस्कूल के सचिव रमेश गिल का कहना है कि बीएसए कार्यालय से अभी तक कोई कागज इस संबंध में प्राप्त नहीं हुआ है। जब तक कोई अधिकृत आदेश या अन्य सरकारी दस्तावेज न मिले तब तक आगे की कार्रवाई संभव नहीं। साठ दिन बाद बीएसए ने निलंबन को निरस्त कर दिया है। यह नहीं कहा जा सकता कि बीएसए न तो अनुमोदन दिया और न ही कोई आपत्ति जतायी और निलंबन स्वत ही समाप्त हो गया। दरअसल निलंबन साठ दिन बाद निरस्त किया गया है।