महा निदेशक स्कूल ने ली क्लास, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने शिकायतों को लेकर लापरवाही बरतने वाले अफसरों की क्लास ले डाली है। दो टूक कहा है कि या तो शिकायतों को निस्तारण करो वर्ना कहीं ऐसा ना हो कि शिकायत करने का मौका भी मिले…कंचन वर्मा महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने 10 अप्रैल को एक पत्र प्रदेश भर के संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल, प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान व समस्त जिला विद्यालय निरीक्षक को संबोधित करते हुए पत्र जारी किया है। उन्होंने दो टूक कहा है कि जिला व ब्लाक स्तर पर शिकायतों के निवारण न किए जाने के कारण ही शासन स्तर पर प्रशासनिक कार्य बढ़ रहा है। हजारों शिकायतें पहुंच रही हैं। इससे स्पष्ट है कि जिला व ब्लाॅक स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। मुख्यालय पर शिक्षकों, कर्मचारियों व जन सामान्य की शिकायतें पहुंच रही हैं।
हालात गंभीर
हालात इतने ज्यादा खराब हो चुके हैं कि शिक्षकों व अधिनस्थ स्टाफ को छोटे छोटे कार्यों के न होने की भी शिकायत शासन को करनी पड़ रही है। जैसे विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद का भार देने, शिक्षकों के आपसी व प्रमोशन संबंधित विवाद, विद्यालय में शिक्षकों व कर्मचारियों का समय से उपस्थित ना होना, विद्यालयों में शिक्षकों के विलंब से आने व विद्यालयों के विलंब से खुलने, लंबित वेतन, एरियर भुगतान, मृतक आश्रित नियुक्ति, शिक्षकों व कर्मचारियों द्वारा स्वयं अपने ब्लॉक, जनपद व मंडल स्तर के अधिकारियों शिकायतें बिना साक्ष्यों के एवं प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए की जा रही हैं, जो कर्मचारी आरण नियमावली 1956 के विपरीत है। इसके साथ यह भी उल्लेखनीय है कि शिक्षकों व कर्मचारियों व जनसामान्य की शिकायतों के निस्तारण के लिए शिक्षा विभाग में विद्यालय स्तर पर प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य, खंड शिक्षा अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक एवं मंडल स्तर पर मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) एवं संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय का संस्थागत ढांचा पूर्व से ही उपलब्ध है। इस प्रकाश की शिकायतें प्राप्त होने से स्पष्ट है कि ब्लाक, जनपद व मंडल स्तर पर शिकायतों का प्रभावी रूप से अनुश्रवण व निस्तारण नहीं हो रहा है। इसकी वजह से प्रदेश स्तर पर अनावश्यक रूप से प्रशासनिक कार्य में विलंब हो रहा है।
दरअसल ब्लाक और जिला स्तर पर कुछ की तानाशाही व्याप्त है, क्त कार्यालयों में बेसिक शिक्षा नियमावली के मानकों विभाग व शासनादेश के अनुपालन में कार्य निस्तारित नही किया जाता है। बल्कि वहां स्थापितों के अपने मनमाने नियम कानून चलते हैं जिसके सैकड़ों प्रमाण व साक्ष्यों से आप भी परिचित होंगे। यह भी व्यवस्था हो समय-समय पर ऐसे आदेशों/ निर्देशों का परिक्षण /अनुश्रवण करने से विभाग में मण्डल,जनपद और ब्लांक स्तर पर शासन, विभाग के आदेशों का गोपन विचलन पर अंकुश लग सके शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण ईमानदारी ससमय हो सके। इसके मददे नजर महानिदशेक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बेहद सख्त लहजे में जरूरी हिदायतों व निर्देशों की लंबी लिस्ट भी पत्र के साथ भेजी है। उनका प्रयास है कि हालात सुधरने चाहिए।