कैंसर के 14 लाख नए मामले 9 लाख मौत, कैंसर के 14 लाख नए मामले 9 लाख मौत, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कैंसर जैसी बीमारी को लेकर भारत के संदर्भ में बेहद डराने वाली रिपोर्ट जारी की है। कहा गया है कि भारत में कैंसर के मामले में लगातार बढ रहे हैं. इसको लेकर जो गंभीरता होनी चाहिए वो नजर नहीं आ रही है. ये बेहद अनुचित है. सरकार के प्रयास भी मुनासिब नहीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि भारत में साल 2022 में 14 लाख से अधिक कैंसर के नए मामले सामने आए हैं और इस गंभीर बीमारी के कारण 9 लाख से अधिक मौतें हुई हैं. डब्ल्यूएचओ की कैंसर शाखा ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (आईएआरसी) ने देश में कैंसर की व्यापकता और पैटर्न पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट जारी की है. भारतीय महिलाओं में स्तन और गर्भाशय कैंसर सबसे आम के रूप में उभरे हैं, जिसके क्रमश: लगभग 27% और 18% नए मामले हैं. , पुरुषों में ‘होंठ और ओरल कैविटी कैंसर’ तथा फेफड़ों के कैंसर के 15.6 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत नए मामले आए हैं. रिपोर्ट में जीवित रहने की दर पर भी प्रकाश डाला गया है, जिससे पता चलता है कि भारत में लगभग 32.6 लाख लोग कैंसर निदान के पांच साल के भीतर जीवित थे. डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया है कि 2050 तक कैंसर के नए मामलों में 77 प्रतिशत की वृद्धि होगी और ये 3 करोड़ 50 लाख से अधिक हो जाएंगे, जबकि 2012 की तुलना में मौत का आंकड़ा लगभग दोगुना होकर 1 करोड़ 80 लाख से अधिक हो जाएगा. भारत में 75 वर्ष की आयु से पहले कैंसर होने का जोखिम 10.6 प्रतिशत आंका गया था, जबकि उसी उम्र तक कैंसर से मौत होने का जोखिम 7.2 प्रतिशत था. वैश्विक स्तर पर ये जोखिम क्रमश: 20% और 9.6% पर थे. फेफड़े का कैंसर सबसे आम कैंसर के रूप में उभरा है, जो नए मामलों में 12.4% और कैंसर से होने वाली कुल मौतों का लगभग 19% है. स्तन कैंसर दूसरे सबसे आम मामले के रूप में दूसरे स्थान पर है, जो कुल नए मामलों में 11.6% और वैश्विक कैंसर से होने वाली मौतों में 7% का योगदान देता है. हालांकि सर्वाइकल कैंसर वैश्विक स्तर पर आठवां सबसे अधिक होने वाला कैंसर है, लेकिन कैंसर से संबंधित मौतों के मामले में यह नौवें स्थान पर है. इसकी व्यापकता के बावजूद आईएआरसी ने डब्ल्यूचओ सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन पहल के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में सर्वाइकल कैंसर के संभावित उन्मूलन के बारे में आशावाद व्यक्त की है. इस पहल में देशों से प्रति 1 लाख महिलाओं पर 4 से कम घटना दर बनाए रखने का आग्रह करते हुए एचपीवी टीकाकरण, नियमित जांच और कुशल उपचार प्रोटोकॉल जैसी प्रमुख रणनीतियों पर जोर दिया गया.