पूरा बिल जमा-फिर भी रिकबरी बाकि

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पूरा बिल जमा-फिर भी रिकबरी बाकि, -बिजली वालों की कारगुजारी से प्रतिष्ठान पर लगा ताला-
पहले बिल गलत भेजा, फिर रकम जमा करा कर अपलोड नहीं किया&  मेरठ। पूरा बिजली का पूरा   बिल जमा है। इसके बाद भी महकमे के स्टाफ ने कारगुजारी दिख्रााते हुए रिकबरी बाकि रख छोड़ी है। दरअसल में बिजल विभाग के स्टाफ की खामियां दर खामियां की वजह से एक अच्छा खासा चलता हुआ काम बंद हो गया। हैरानी तो इस बात की है आज पांच साल से बिजली विभाग की करनी का फल उपभोक्ता भोग रहा है। यह पूरा मामला उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के सदस्य मोहम्मद रिजवान पुत्र सलीमुद्दीन जिनका एकाउंट आइडी 7645305739 है, से जुड़ा है। इस मामले की पैरवी कर रहे व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ने मामले में कसूरवारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर आज अधिशासी अभियंता विद्युत नगरीय वितरण खण्ड तृतीय पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम मेरठ वैशाली कालोनी को पत्र लिखा। उन्होंने बताया कि 4 जनवरी 2020 का 6780 रुपए रियाज के प्रतिष्ठान का बिल समय पर भुगतान न होने की वजह से अस्थायी विच्छेदन कर दिया गया। 15 सितंबर 2020 को विभाग ने उन्हें कारगुजारी दिखाते हुए 51,544 रुपए का बिल भेज दिया। इसको सही कराने के लिए रियाज ने सैकड़ों चक्कर काटे लेकिन आरोप है कि एसडीओ के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। व्यापार मंडल के शिकायत करने के बाद 1 अक्तूबर को उपभोक्ता का मीटर उतारकर कनेक्शन पीडी कर दिया गया। आईजीआरएस पोर्टल पर जब पूरे प्रकरण की शिकायत की गयी तो सुनवाई के बाद पीडी फाइनल कर उपभोक्ता का 6094 रुपए का बिल बना दिया गया। उपभोक्ता ने 20 सितंबर 2020 को यह रकम अधिशासी अभियंता कार्यालय में अंतिम भुगतान रसीद प्राप्त कर जमा करा दी। व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल का आरोप है कि रियाज से बिल तो जमा करा लिया लेकिन उसको अपलोड नहीं किया गया। इसका नुकसान यह हुआ कि जिस मकान मालिक के यहां किराएदार रियाज प्रतिष्ठान चला रहा था, उस मकान मालिक रइसुददीन पुत्र हकीमुददीन ने नया कनेक्शन एप्लाई किया तो आपत्ति लगा दी गयी। पीडी नॉट क्लीयर बता दिया गया। मकान मालिक ने इसको लेकर रियाज को बुलाकर सबके सामने खरीखोटी सुनाई जबकि रियाज अंतिम बिल जमा कर रसीद भी ले चुका था, लेकिन स्टाफ द्वारा यह जानकारी अपलोड न होने की वजह से अब नए कनेक्शन लेने में अडंगा लग गया है। लोकेश अग्रवाल ने इसके लिए अधिशासी अभियंता के एकाउंटेंट व आॅडिट करने वाले अधिकारी को भी समान रूप से दोषी बताते हुए कार्रवाई की मांग की है।

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