सवा साल अधूरी नगर निगम की सरकार, मेरठ में महापौर के शपथ व नगर निगम बोर्ड के चुनाव को लगभग सवा साल का अरसा बीत चुका है, लेकिन निगम की सरकार को अपना कोरम पूरा होने का इंतजार है और यह तभी पूरा होगा जब प्रदेश सरकार द्वारा निगम बोर्ड में दस पार्षदों को मनोनीत कर दिया जाएगा। शासन से पार्षदों के मनोनीत होने तक बोर्ड को आधा अधूरा माना जा रहा है। पिछले बोर्ड में भी योगी सरकार ने दस पार्षद मनोनीत किए थे।
आस में टूट रहा सब्र
नगर निगम बोर्ड में मनोनीत होने वाले पार्षद की आस में अब दावेदारों सब्र टूटने लगा है। यह तो तय है कि जितने भी पार्षद मनोनीत होंगे वो सब भाजपा व सहयोगी दलों से होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सूबे में जिसकी भी सरकार होती है उसी पार्टी के नेताओं का यह मौका मिलता है। यह दस्तूर भी है। भाजपा की यदि बात की जाए तो करीब सौ से ज्यादा नाम सूत्रों ने गिनाए हैं जो मनोनीत पार्षद बनने की कतार में लगे हैं, लेकिन उनके हिस्से में अभी इंतजार ही आ रहा है। प्रदेश भर के निगम बोर्डों में ये पार्षद मनोनीत किए जाने हैं। यह प्रक्रिया पूरे प्रदेश में एक साथ शुरू की जाएगी। तभी मेरठ निगम की भी बारी आएगी। पिछले बोर्ड में जितने भी मनोनीत पार्षद थे उनका कार्यकाल भी निर्वाचित पार्षदों के साथ ही नए बोर्ड के गठन के बाद स्वत ही खत्म हो गया। महापौर हरिकांत अहलूवालिया के नेतृत्व में निगम के नए वर्तमान बोर्ड के शपथ ग्रहण को करीब सवाल साल का अरसा बीत चुका है, जानकारों का कहना है कि यदि बोर्ड के दस मनोनीत पार्षद और बढ़ जाए तो इससे बोर्ड की ताकत बढेÞगी। ऐसा इसलिए कहा रहा है कि जो पार्षद मनोनीत होते हैं वो केवल किसी वार्ड विशेष के विकास के बजाए पूरे शहर के विकास की ताकत रखते हैं। यदि दस मनोनीत पार्षद बोर्ड को मिल जाए तो शहर को विकास और भी बेहतर ढंग से हो सकता है। पूर्व पार्षद गफ्फार ने चुटकी लेते हुए कहा कि अपनी पार्टी की सरकार होते हुई भी निगम बोर्ड में पहुंचने का सपना पाले बैठे भाजपा नेताओं की आस ना जाने कब पूरी होगी।
वर्जन
शासन से शुरू होगी प्रक्रिया
महानगर भाजपाध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज ने बताया कि नगर निगम बोर्ड में जो पार्षद मनोनीत किए जाने हैं वो शासन स्तर से होंने हैं। जहां तक महानगर संगठन की बात है तो जब नाम मांगे जांएगे तो यहां से नाम भिजवा दिए जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि यह कार्य शीघ्र शुरू हो सकता है।