वर्दी पहनने से पहले जा पहुंचे हवालात के पीछे,
पुलिस बनने के लिए बिहार व राजस्थान के अभ्यार्थियों ने लांधी तमाम हदें
मेरठ-पुलिस की वर्दी पहनने के चक्कर में 88 अभ्यार्थी सलाखों के पीछे पहुंच गए। उनका कसूर ही कुछ ऐसा है कि पुलिस के पास भी सलाखों के पीछे भेजने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा था। उनका फर्जीवाड़ा ही इतना जबरदस्त था कि सलाखों के पीछे नहीं भेजते तो पुलिस वालों की भी बदनामी होती। दरअसल में यूपी पुलिस में सिपाही बनने के लिए बिहार और राजस्थान के अभ्यर्थियों ने खूब फर्जीवाड़ा किया। कुछ अभ्यर्थियों ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाये तो कुछ ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा ही दोबारा दे डाली। इतना ही नहीं दोबारा हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा देने के दौरान कई अभ्यर्थियों ने अपने नाम-पते तक फर्जी डलवा दिए। साथ ही जन्म तिथि पांच से छह साल तक घटा कर लिखवाई। नाम बदल कर हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा दो बार देने वाले अभ्यर्थियों ने सिपाही भर्ती परीक्षा भी दो-दो दिन दी। इनमें से कई अभ्यर्थी पुलिस भर्ती बोर्ड और यूपी पुलिस की सख्त निगरानी में फंस गये। बाकी जो बचे, वह जांच में फंस रहे हैं। इनको जेल भेजने की कार्रवाई शुरू हो गई है। पांच दिन हुई परीक्षा में 463 अभ्यर्थी संदिग्ध पाये गये। इसके अलावा हर दिन परीक्षा में धांधली करने वाले 80 अभ्यर्थी जेल भेजे गए। 24 जुलाई को परीक्षा में मथुरा के योगेश और हरदोई के फहीम के आधार कार्ड और मूल डाटा में अंतर मिला। जांच हुई तो सामने आया कि इन दोनों ने हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा दो-दो बार दी थी। दोनों में अलग-अलग जन्मतिथि दिखाई गई थी। कुछ अभ्यर्थियों ने पुलिस के सामने खुलासा किया कि उन्होंने दलाल के माध्यम से फर्जी आधार कार्ड बनवाये जिसमें मनमाफिक जन्मतिथि दर्ज करा ली। परीक्षा केन्द्र पर जब इन आधार कार्ड का सत्यापन किया गया तो मूल सरकारी डाटा से उसका ब्योरा मेल ही नहीं खाया। इस संबंध में यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष राजीव कृष्ण का कहना है कि जांच में दोषी मिलने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी जा रही है। कई जगह यह एफआईआर सम्बन्धित परीक्षा केन्द्र के प्रभारी की ओर से हो रही है।
ताकि दाग ना लगे पुलिस भर्ती परीक्षा पर-ताकि महफूज रहे बदनामी के दाग से-फुल प्रुफ होंगे इंतजाम
राज्य सरकार भर्ती परीक्षाओं को और फुलप्रूफ बनाने के लिए निजी एजेंसियों की दखलंदाजी को खत्म करने जा रही है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी भर्ती परीक्षाओं के लिए पेपर तैयार कराने से लेकर छपाई का काम कराया जाएगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में पहले चरण में इसे लागू किया जाएगा। इसके बाद अन्य आयोगों और बोर्डों में लागू किया जाएगा। उच्च स्तर पर इसको लेकर सहमति बन गई है और जल्द ही इसको लेकर संशोधन संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराने की तैयारी है। खत्म होगी सेंधमारी राज्य सरकार भर्ती परीक्षाओं में पर्चा लीक पर पूरी तरह से रोक लगाना चाहती है। मौजूदा समय निजी एजेंसियों से पर्चा बनवाने से लेकर उसकी छपाई का काम कराया जाता है। इसके चलते पर्चा लीक होने की संभावना बनी रहती है। पर्चा लीक होने पर निजी प्रिंटिंग प्रेस वाले या फिर उसके कर्मी इसके लिए दोषी पाए जाते हैं। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसको लेकर एक बैठक हुई थी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने उनके समक्ष पर्चा लीक रोकने और भर्ती परीक्षा फुलप्रूफ बनाने के लिए विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया। इसमें बताया गया कि राज्य सरकार के पास अपना स्वयं का मुद्रण एवं प्रिंटिंग प्रेस है। इसीलिए भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की छपाई इसमें ही कराई जाए। भर्ती परीक्षाओं के लिए विशेषज्ञों के पैनल से प्रश्नपत्र तैयार कराने का विचार है। इसके लिए विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों के विषयवार प्रोफेसरों का पैनल तैयार कराने, इनसे तीन से चार सेटों में प्रश्नपत्र तैयार कराने और आयोग व बोर्ड स्तर पर इसे अंतिम रूप दिए जाने पर विचार हुआ है। तय हुआ है कि यह गोपनीय रखा जाए इसकी जानकारी प्रश्नपत्र तैयार करने वाले पैनल को भी न लग सके। सरकारी प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्नपत्र छपने के बाद कोषागार में रखा जाए। आयोग के स्तर पर अंतिम समय में तय किया जाए कि किस सेट का प्रश्नपत्र परीक्षा में बांटा जाएगा। इससे पर्चा लीक होने की संभावना काफी हद तक खत्म होगी।