हालात बयां कर रहे हैं परले दर्ज की बरती जा रही थी लापरवाही
डेयरी में का पानी रिस-रिस कर पहुंच रहा था बुनियादों में, छह दिन पहले बैठ गया था पिछले हिस्सा
मेरठ। लोहिया नगर के जाकिर कालोनी स्थित नफ्फो की डेयरी और घर में जो हादसा हुआ है उसको लेकर मौका ए मुआयना के किए जाने के बाद अफसरों का कहना है कि इसको इस परिवार के लोगाें नासमझी कहें या फिर परले दर्ज की लापरवाही। करीब साठ साल पुरान तीन सौ गज में बना मकान का नीचे का हिस्सा जहां अब डेयरी चल रही थी जिसका बड़ा पार्ट कच्चा था, उस पर तीन मंजिला मकान बना डाला। मकान बनाया सो बनाया लेकिन जो एहितयात बरती जानी चाहिए थीं, वो नहीं बरती गईं। एडीएम सिटी ब्रजेश कुमार सिंह का कहना है कि आमतौर पर इतनी मंजिल बनाने से पहले जो ग्राउंड फ्लोर होता है उसकी मजबूती पर तवज्जो दी जाती है। देखा जाता है कि इस लायक है भी नहीं कि ऊपर की मंजिलों को बोझ संभाल लेगा। आसपास के लोगों ने बताया कि जैसे जैसे बच्चों की शादी होती गई नफ्फो मकान की मंजिलें चढ़वाती चली गयीं। तीन सौ गज का प्लाट और महज एक पिलर पर, नौबत यही तक नहीं रही, यह महज चार इंच की दीवार पर ऊपर की मंजिलें खड़ी की गयी थीं। यदि थोड़ा सौ गौर मकान की मजबूती पर किया जाता तो शायद हादसा ना होता। ऐसा नहीं कि इस इलाके में इतने ऊंचे मकान नहीं है। इससे भी ऊंची बिल्डिंग इस इलाके में हैं, लेकिन वह बुनियाद में मजबूती का पूरा ध्यान रखा गया, जो इस मकान में नहीं रखा गया।
नींब हो रही थी सालों से कमजोर
आसपास के लोगों ने बताया कि जिस मकान में डेयरी चल रही थी उस मकान में महज एक पिलर था और यह गेट पर था। मकान की दीवार भी चार इंच की थी। मकान से पानी निकालने के इंतजाम नहीं थे। पशुओं की गंदगी दीवारों पर ही जमा हो रही थी। लिंटर के नीचे परिवार दबा था, जिनको निकालना मुश्किल हो रहा था। यदि छह दिन पहले जो हादसा हुआ था उसको लेकर चौकसी बरती होती तो शायद लाश में तब्दील हो चुके जिस्मों को जिंदा बचाया जा सकता था। तीन मंजिला मकान की नींव कमजोर हो चुकी थी। परिवार के लोग मकान के ऊपरी मंजिल में जरूरत के हिसाब से समय समय पर निर्माण कराते रहे। लेकिन नींव को मजबूत करने का प्रयास नहीं किया गया। नींव में डेयरी में इस्तेमाल होने वाला पानी, गंदगी और बाहरी दीवारों में चार दिन से हो रही बारिश का पानी रिसता गया। इससे मकान ढह गया।
गुजरता गया वक्त बढ़ती गई लाखों की तादात
मेरठ। लोहियानगर थाना इलाके की जाकिर कॉलोनी में शनिवार शाम तीन मंजिला भरभरा कर गिर गया। दर्दनाक हादसे में पांच मासूम बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो गई। जबकि पांच घायल अस्पताल में भर्ती हैं, इनमें से कई की हालत गंभीर है। शनिवार शाम करीब साढे़ चार बजे अचानक तीन मंजिला मकान भरभरा कर गिर गया। इससे इलाके में अफरातफरी मच गई। पुलिस को सूचना देकर स्थानीय लोग राहत और बचाव कार्य में जुट गए। मलबे में दबे परिवार के सदस्यों को स्थानीय लोगों ने हादसे के चंद मिनट बाद ही शाम साढ़े चार बजे से ही तलाशना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस-प्रशासन और एसडीआरएफ व एनडीआरफ की टीम शनिवार को रात भर मलबे में जिंदगी की तलाश करती रही।हादसे में साजिद और उसके बच्चों समेत 10 की मौत हो गई। मौके पर एकत्र लोग मलबे के नीचे से सभी लोगों के जिंदा निकलने की दुआ कर रहे थे, लेकिन साजिद और उसके बेटे साकिब, बेटी सानिया और रिजा, मां नफीसा के अलावा सिमरा की मौत हो गई। एक के बाद एक शव निकलते देख लोगों का कलेजा बैठ गया। इसके बाद भी लोगों ने उम्मीद नहीं छोड़ी और बचाव दल के साथ मलबा हटाकर दबे हुए बाकी लोगों को तलाश करते रहे। रविवार सुबह तक बच्चों समेत दस लोगों के शव निकाल लिए गए। रेस्क्यू के दौरान कई घंटे तक बिजली गुल रही। वहीं, आसपास के तार टूटने से भी विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। इसके चलते जनरेटर मंगाकर और लाइट मंगाकर प्रकाश की व्यवस्था की गई। लोगों ने भी इसमें मदद की। अस्थायी प्रकाश व्यवस्था में ही आधी रात के बाद तक राहत व बचाव कार्य चलता रहा।