अंधेरे में सुनाई देती हैं चीखें-इलाके में दहशत,
मेरठ के जाकिर कालोनी इलाके में मकान गिरने से दस की मौत के बाद लोग खासतौर से महिलाएं और बच्चे दहशत में जी रहे हैं। उनका दावा है कि शाम ढलते या फिर जब भी वो अकेले होते हैं उन्हें महिलाओं व बच्चों की चींखें सुनाई देती हैं। दहशत का आलम यह है कि जहां से दस लाशें निकली थीं वहां लोग जाने की हिम्मत नहीं जुटा पर रहे हैं। माहौल में अजीब दहशत कायम हैं। हालांकि यह वहन के अलावा कुछ नहीं, डेयरी हादसे में महिला व बच्चों समेत दस की दर्दनाक मौत के बाद जाकिर कालोनी गली नंबर आठ में रहने वालों को रात में चींखें सुनाई दे रही हैं। मारे दहशत के वो सो नहीं पा रहे हैं। उनके डर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मकान के मलवे में जहां नफ्फो के परिवार के दस लोग दफन हुए थे, उस ओर शाम ढले अंधेरा छाने के बाद अब जाते हुए भी डर लगाने लगा है। आसपास रहने वाले कई लोगों ने बताया कि अनेक महिलाएं और बच्चे रात को बुरी तरह से डर जाते हैं। यह भी बताया गया है कि इस हादसे में करने वालों की जिन्होंने मलवे से लाशें निकलते हुए देखी हैं उनमें से कई महिलाएं बच्चों के लेकर अपनी रिश्तेदारी में चली गयी हैं। दरअसल उनकी दिमागी हालत देखकर परिवार वालों ने ही उन्हें रिश्तेदारी में भेज दिया है। लोगोंं ने माना कि जब यह हादसा हुआ है यहां का माहौल अजीब है। यंू कहने को कोई वाक्या सामने नहीं आया है, लेकिन उसके बाद भी यहां के माहौल में अदृश्य गड़बड़ महसूस होती है। नाम ना छापे जाने की शर्त पर लोग बताते हैं कि हादसे में मरने वाले सभी लोग अपनी मौत नहीं मरे हैं। यह अचानक हुआ वाक्या है। कहते हैं कि इस प्रकार के हादसों में मरने वालों की रूह भटकती है। कुछ का तो यहां तक कहना है कि जब तक चालिसवां नहीं हो जाता तब तक उनकी रूह यूं ही भटकती रहेगी और यहां दहशत कायम रहेगी। कुछ लोग इसको दिमागी वहन भी करार दे रहे हैं। उनका तर्क है कि ऐसा कुछ नहीं होता केवल कुछ लोगों ने दिल ओ दिमाग में वहन पाल लिया है।