27 दिसंबर 2018
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की घुसपैठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी अंदर तक हो चुकी है। करीब 17 साल में पश्चिम के अलग-अलग जिलों से आईएसआई के एजेंट और आतंकियों के साथियों समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा संदिग्ध पकड़े जा चुके हैं। कई एजेंटों से पूछताछ में साफ हो चुका है कि मेरठ समेत कई जिलों में आईएसआई के लिए काम करने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल की जड़ें काफी गहरी हो चुकी हैं। बुधवार को एनआईए और एटीएस ने आतंकी नेटवर्क को तोड़ने के लिए 16 जिलों में एक साथ ही छापेमारी सटीक इनपुट मिलने के बाद की। आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकामयाब करने में सुरक्षा एजेंसियों को सफलता भी हाथ लगी है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार आईएसआई भारत में नए साल और 26 जनवरी के आसपास आतंकी वारदात को अंजाम दिलाने की फिराक में लगी है। इनपुट के अनुसार आईएसआई का निशाना दिल्ली, एनसीआर और वेस्ट यूपी का कोई जनपद हो सकता है। इसके अलावा इसकी भी चर्चा है कि देश को अस्थिर करने के लिए आईएसआई के निशाने पर प्रमुख नेता और संस्थान हैं। इस इनपुट पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के साथ ही देश की तमाम खुफिया और जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं।
साल 1990 में आईएसआई ने अवैध हथियार, नकली करेंसी को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर समेत कई जिलों में अपनी जडे़ं फैलाई थीं। इकबाल काना और दिलशाद मिर्जा निवासी कैराना साल 1992 में हथियारों की खेप के साथ पकड़े गए थे। जिनके पाकिस्तान की आईएसआई से संपर्क थे। शिकंजा कसते ही दोनों साल 1995 में भारत छोड़कर पाकिस्तान भाग गए थे। इसके अलावा भी कई हथियार सप्लायरों के जरिये आईएसआई ने जडे़ं फैलाईं। ठीक इसी तरह से आईएसआई अब फिर से वेस्ट में हथियार सप्लायरों को मोहरा बना रहे हैं।
ISI ने वेस्ट यूपी में फैलाया बड़ा नेटवर्क, सामने आया चौंकाने वाला खुलासा, यहां बिकते हैं हथियार
21 अगस्त 2923 को शामली से कली को एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने दबोचा था। कमीम अपनी मां आमना व पिता नफीस के साथ पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर लौटा था। छानबीन और पूछताछ में पता चला है कि कलीम अपने भाई के साथ मिलकर भारतीय सेना से जुड़ी खुफिया जानकारी लाहौर के किसी आईपी एड्रेस पर भेज रहा था. उसके भाई के साथ मिल कर भारतीय सेना से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को मुहैय्या करता था।