निगम अफसर से सीखो पैसे ठिकाने लगाना, मेरठ
पब्लिक के टैक्स के पैसे को कैसे ठिकाने लगाया जाता है यह कोई नगर निगम से अफसरों से सीखे। जो ठेका छोड़ने के बाद मौके पर यह देखना गंवारा नहीं करते कि ठेकेदार किस प्रकार से काम कर रहा है। मानकों के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं। जो निर्माण सामग्री लगाई जा रही है वह शर्तों के अनुसार लगायी जा रही है या नहीं। निगम के निर्माण विभाग के अफसर खुद से साइट पर जाकर न झांके यह तो बात समझ में आती है, लेकिन महपौर व कमिश्नर से शिकायत के बाद भी यदि निगम अफसर मौके पर नहीं आ रहे हैं तो साफ है कि या तो ठेकेदार के अहसान के बोझ तले दबे हुए हैं या फिर ठेकेदार का खौफ उन्हें साइट पर नहीं जाने दे रहा है।
नौचंदी के मुरारीपुरम इलाके में नगर निगम द्वारा एक नाले का निर्माण कराया जा रहा है, नाला निर्माण के नाम पर जो कुछ किया जा रहा है वो निगम के निर्माण विभाग के तमाम अफसरों को कठघरे में खड़ा करने और ठेकेदार की सिक्योरिटी राशि जब्त कर उसको काली सूची में डाल जाने के लिए काफी है। साथ ही यह भी कि जो नाला बन रहा है उसको जिस तरह से बनाया जा रहा है, वो कितने दिन तक कायम रहेगा, इसकी गारंटी तो शायद ठेकेदार भी नहीं दे सकेगा। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि नाला निर्माण के नाम पर केवल पब्लिक के पैसे की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार जब भी कहीं भी इस प्रकार के निर्माण किए जाते हैं तो सबसे पहले नाले की दीवार बनाने के लिए जहां दीवार बनायी जा रही है वहां का पानी रोका जाता है। उस ओर आने वाले पानी को रोकने के लिए बाकायदा अवरोध लगाए जाते हैं, लेकिन हैरानी इस बात की कि बजाए पानी रोकने के लिए अवरोध लगाने के ठेकेदार बहते हुए पानी में ही मसाला डाल रहा है। या तो ठेकेदार तकनीक नयी लाया है या फिर उसकी अफसरों से सेटिंग हो गयी है कि नाला इस प्रकार से बनाया जाए कि इसकी जिंदगी ज्यादा ना हो और बाद में जितनी रकम का नाला ना बना हो उससे ज्यादा रकम इसकी मरम्मत के नाम पर सरकारी खजाने से खर्च कर दी जाए। नाले के नाम पर ठेकेजार मुरारी पुरम में जो करा रहा है। क्षेत्र के भले लोगों ने उसकी शिकायत महापौर व कमिश्नर से भी की है, यह बात अलग है कि उस पर भी सिस्टम का नींद से जागना बाकि है। लोगों का कहना है कि शिकायत पर सिस्टम को चलाने वाले और जनता का नुमाइंदा होने का दम भरने वाले कुछ करेंगे या नहीं यह तो कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इतना जरूर साफ है कि जनता के टैक्स का पैसे बेदर्दी से मुरारी पुरम में ठिकाने लगाया जा रहा है।