मौत के कुंओं पर सुनवाई 12 को

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मौत के कुंओं पर सुनवाई 12 को,

मेरठ / गली कूचों में अवैध कांप्लैक्सों पर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। सोमवार को इस मामले में सुनवाई होनी थी लेकिन आज होने वाले केसों की लिस्टिंग में नंबर 81वां होने की वजह से सुनवाई पर नहीं आ सका। लिस्टिंग के केवल 57 केस सुने जा सके। शहर के अवैध कंप्लैक्सों के मामले में मेरठ विकास प्राधिकरण पर उचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट थापर नगर के मिशन कंपाउंड निवासी मनोज चौधरी ने जानकारी दी कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। उन्होंने बताया कि सोमवार को मेडा प्रशासन की ओर से इस मामले जवाब दाखिल करना थ, लेकिन केस ही सुनवाई पर नहीं आ सका।
मनोज चौधरी की जनहित याचिका में शहर की पुरानी आबादी वाले इलाकों में मकानों को अवैध कांप्लैक्सों में बदल कर वहां तंग गलियों जिनमें से कुछ गलियां तो मुश्किल से दे-दे फुट की हैं, वहां दो-दो सौ दुकानों के बहुमंजिला कांप्लैक्स बनाने का उल्लेख करते हुए इसके लिए मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। उनका आरोप है कि भूमाफिया प्रवृत्ति के कारोबारियों ने ये अवैध कांप्लैक्स बनाए हैं। इनके खिलाफ जो कार्रवाई की जानी चाहिए थी वह नहीं की गयी। नतीजा यह हुआ कि तमाम पुराने मकान जो तंग गलियों में हैं वहां अवैध कांप्लैक्सों का जाल बिछा दिया गया। ये तमाम अवैध कांप्लैक्स कोई एक दिन में नहीं बनवा दिए गए, बल्कि एक लंबा अरसा इन अवैध निर्माणों में लगा है। मेडा अफसरों ने कार्रवाई के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति की है।
उन्होंने बताया कि मौत के कुंओं की मानिंद इन अवैध कांप्लैक्सों को लेकर उन्होंने मेरठ प्राधिकरण के अफसरों के अलावा जिला प्रशासन के तमाम उच्च पदस्थ अफसरों तक से इनकी शिकायत की है, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ये तमाम अवैध कांप्लैक्स बडेÞ हादसों को न्यौता देते नजर आते हैं। यदि इनमें कभी कोई आग सरीखा हादसा हो गया या कभी भगदड़ मच गयी तो वहां हताहत होने वालों की संख्या इतना ज्यादा होगी कि गिने भी नहीं जा सकेंगे। मनोज चौधरी का आरोप है कि किसी भी कांप्लैक्स में फायर एनओसी तक नहीं है। फायर एनओसी के बगैर तो कोई भी अवैध कांप्लैक्स बन नहीं सकता। इसके अलावा यहां सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। तमाम ऐसे अवैध कांप्लैक्स हैं जहां घरों को तोड़कर उन्हें कांप्लैक्स में बन दिया गया। सौ-सौ दुकानें बना दी गईं, लेकिन इन कांप्लैक्सों में आने वालों के वाहन कहां पार्क होंगे इसको लेकर सभी ने चुप्पी साध ली है।
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