सदर व आबूलेन की सड़कें तब डाली बेच

सदर व आबूलेन की सड़कें तब डाली बेच
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सदर व आबूलेन की सड़कें तब डाली बेच
सदर व आबूलेन की सड़कों पर सजता है दुकानों का सामान
अब नहीं निकलता कैंट बोर्ड का अमला सामान जब्त करने को
मेरठ/भीड़ भाड़ के लिए बदनाम आबूलेन व उससे सटे सदर इलाके में सड़कों का सौदा कर कुछ रास्तों को पूरी तरह से बंद करने का अपराध किया गया है। हालात इतने गंभीर हैं कि कई बार स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो जाती है कि बाइक तो छोड़िये जनाव पैदल निकाला भी दुश्वार होता है। छावनी का सदर शिव चौक से सटा एक बड़ा इलाका जिसमें आबूलेन व उससे सटे इलाके भी शामिल हैं, वहां सड़कों का सौदा कर दिया गया है। शिव चौक से लेकर सदर सराफा मार्केट से पहले तिराहा तक का रास्ता यहां के दुकानदारों को बेच दिया गया है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सड़क के दोनों ओर कम से कम चार-चार फुट की दुकानों के आगे की जगह पर बाकायदा अवैध कब्जा कराकर दुकानों का सामान सजाने की छूट दे दी गयी है। जिसके चलते कार की तो बात करना ही बेमाने होगा। कई बार तो बाइक व स्कूटी से निकलना भी दुश्वार हो जाता है।
सूत्रों की मानें तो लोगों के आने जाने के लिए बनायी गयी छावनी की इन सड़कों के सौदा बाकयदा संगठित गिरोह की तर्ज पर किया गयाा है। इसमें कैंट बोर्ड के कुछ अफसर जिसमें खासतौर से रेवेन्यू सेक्शन का नाम लिया जाता है। व्यापारी नेता और इलाके के कुछ पुलिस कर्मी। बताया गया है कि जिन दुकानदारों से सड़कों का सौदा किया गया है, उनके कलेक्शन का काम एक ठेकेदार की मार्फत किया जाता है। यहां तक सुनने में आया है कि प्रति माह आबूलेन से सात लाख व सदर इलाके से 12 लाख की उगाही की जाती है। उगाही के बाद सबका हिस्सा पहुंचा दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर क्या वजह है जो सदर की चौड़ी सड़कों को तंग गली में तब्दील कर देने के बाद भी कैंट बोर्ड का दस्ता अब टैक्टर-ट्राली लेकर सामान जब्त करने को नहीं निकलता है।
स्मारक स्थल के आसपास अवैध कब्जा
सदर शिव चौक पर शहीद स्मारक स्थल का निर्माण साल 1947 में कराया गया था। इसको आॅव्जवेशन प्लेस भी कहा जाता था। मुल्क की आजादी के बाद पहली बार कैंट प्रशासन के अफसरों ने इसी स्थल पर खडेÞ होकर तिरंगा फहराया था। 1969 में एमईएस के एक अफसर ने अपने पुत्र की स्मृति में यहां घंटाघर का निर्माण कराया था। उसके सौन्दर्यीकरण के लिए फुव्वारा लगवाया गया था। घड़ी लगवायी गयी थी, लेकिन अब इनके अवशेष तक नहीं बचे हैं और रही सही कसर सड़कों का सौदा करने वाले इस संगठित गिरोह ने इस स्थान के आसपास अवैध रूप से फड लगवा कर पूरी कर दी है। सुनने में तो यहां तक आया है कि प्रति फड बीस हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यह कलेक्शन भी संगठित गिरोह की ओर से ठेकेदार को सौंपा गया बताया जाता है।
सीईओ निकले राउंड पर तो हो रूबरू
सदर व आबूलेन इलाके में सड़कों को बेच दिए जाने से परेशान यहां के वाशिंदों का कहना है कि पूर्व में कैंट बोर्ड के अध्यक्ष व सीईओ सरीखे अफसर राउंड पर निकलते थे। बाजारों की स्थिति देखा करते थे। लेकिन इन अफसरों ने तो अब राउंड करना तो दूर की बात दफ्तर से निकलना तक बंद कर दिया है। जब अफसर आकर झांकेंगे ही नहीं तो फिर मातहत बाजारों के सड़कों का सौंदा तो करेंगे ही।

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