घर में दुकान-आफत का फरमान,
मेरठ। के सेंट्रल मार्केट के उन कारोबारियों के लिए मंगलवार को अमंगलकारी फरमान आया जिन्होंने घरों को दुकानों में तब्दील कर दिया। आवासीय रेट पर खरीदे गए प्लाट पर दुकान बनाकर व्यापारी कहलाने लगे। मंगलवार को आए अमगलकारी व हा-हाकारी फैसले के बाद अब सेट्रल मार्केट के कारोबारियों के सामने ब्रिटिश हुकूमत के दौर में महात्मा गांधी जी सरीखे करो या मरो के हालात बन गए हैं।
अब तो फैसला भी आ गया अब क्या करोगे
सेंट्रल मार्केट की एक दुकान को लेकर करीब एक माह पहले जो घटनाक्रम शुरू हुआ था उसके बाद खुद को बड़ा माने वाले कुछ नेताओं का कहना था कि पहले फैसला आने दो, फैसला आने के बाद देखा जाएगा क्या करना है। मंगलवार को अमंगलकारी फैसला भी आ गया है। वो नेता अब इन व्यापारियों के बताए कि क्या करना है। सुप्रीमकोर्ट से ऊपर ना तो योगी सरकार है ना मोदी सरकार है, तभी तो सुप्रीम कोर्ट नाम है।
19 को मांगी थी स्टेटस रिपोर्ट
19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आदेश सुरक्षित रखते हुए आवास विकास परिषद से 499 भवनों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी, जिसे तैयार करके परिषद ने कोर्ट में दाखिल कर दिया था। मामला सुप्रीमकोर्ट में होने के चलते आवास विकास परिषद के अफसरों ने बगैर किसी लाग पलेट को बता दिया कि 499 भवन आवासीय फ्लेट पर बना दिए गए हैं या कहें मकानों को दुकानों में कनवर्ट कर दिया गया है जो पूरी तरह से अवैध है। इन पर ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
हालांकि आवास विकास के एक बडेÞ अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि सेंट्रल मार्केट मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई है। लेकिन अभी क्या फैसला हुआ है, यह आदेश अपलोड होने के बाद ही स्पष्ट होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इससे साफ है कि 499 पर बुलडोजर चलने का रास्ता साफ हो गया है। परेशान हाल व्यापारियों को अब उनकी तलाश है जो कह रहे थे घबराएं नहीं। किसी का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। भले ही कानून ही क्यों ना बनाने पडेÞ। पहले तो अभी आसार नहीं और यदि कानून बना भी दिया गया तो वो उन भवनों पर लागू होगा जो कानून के बनने के अवैध कहलाएंगे। पुराना मामला और पुराना कानून वैसे भी यह कहावत नहीं भूलनी चाहिए। व्यापारियों पर आफत कोर्ट से आयी है यदि कोई राहत दे सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ कोर्ट है।