MSP-गरजेगा सेना का बुल्डोजर

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MSP-गरजेगा सेना का बुल्डोजर,

एमपीएस मेन व एमपीएस गर्ल्स विंग का निर्माण ही नहीं कब्जा भी अवैध
जीएलआर में आज भी सईदा बानो के नाम है दर्ज है वेस्ट एंड रोड बंगला 233
डीईओ नोटिस के बाद भी अभी तक मालिकाना हक को लेकर नहीं पेश कर सके सबूत
मेरठ/कैंट के वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला नंबर 233 व 223 में एमपीएस गर्ल्स विंग व एमपीएस मेन में कैंट एक्ट की धज्जियां उड़ाकर केवल अवैध निर्माण ही नहीं किए गए हैं, बल्कि शास्त्री परिवार इन दोनों ही बंगलों पर अवैध रूप से काविज भी है। इसको लेकर जिस कानूनी बाधा की बात कही जा रही है, (मसलन सेना, कैंट बोर्ड व डीईओ की संयुक्त कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के स्टे) उसके हटते ही एमपीएस पर सेना का बुल्डोजर गरजेगा। वहीं दूसरी ओर आसपास के लोगों की मानें तो एमपीएस गर्ल्स विंग व एमपीएस मेन जिस प्रकार से अवैध निर्माण किए गए हैं, उसके चलते अपराधिक साजिश को खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल सेंट्रल मार्केट प्रकरण में इस प्रकार के अवैध निर्माणों को सुप्रीमकोर्ट की टिप्पणी की रौशनी में यदि देखा जाए तो यह अपराधिक साजिश की श्रेणी में आते हैं। सेंट्रल मार्केट ध्वस्त करने के आदेश में सुप्रीमकोर्ट ने बेहद तलख टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह अपराध की श्रेणी में आता है और अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के साथ ही अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज करायी जानी चाहिए। केवल एफआईआर ही नहीं बल्कि विभागीय कार्रवाई भी अमल में लायी जानी चाहिए। वहीं दूसरी ओर बताया जाता है कि दोनों बंगलों को लेकर शास्त्री फैमली यानि एमपीएस के संचालकों के पास कोई मालिकाना हक नहीं है। बंगला नंबर 233 तो आज भी जीएलआर में किन्हीं सइदाबानों के नाम दर्ज है। जब बंगला नंबर 233 जीएलआर में सइदाबानो के नाम पर तो फिर उसमें एमपीएस गर्ल्स का निर्माण कैसे हो गया। इस खुलासे के बाद यह तो साफ हो गया है कि एमपीएस गर्ल्स विंग पूरी तरह से अवैध है। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि डीईओ के स्तर से कोर्ट में केस को लिस्ट कराकर स्टे को खारिज कराया जाए तो एसएमपी पर बुल्डोजर चलने का रास्ता तुरंत साफ हो जाएगा। एमपीएस पर यदि बुल्डोजर चलगा तो अवैध निर्माण करने वालों के लिए सेना की यह कार्रवाई नजीर सरीखी होगी।
एमपीएस गर्ल्स विंग गंभीर खामियां
वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 233 जिसमें एमपीएस गर्ल्स विंग संचालित किया जा रहा है, उसकी लीज खत्म करने की वजह इस बंगले में चेंज आॅफ परपज व अवैध निर्माण है। कैंट एक्ट में यह गंभीर खामियों में शुमार किया जाता है। इस प्रकार के मामलों में कंपाउंडिंग की भी गुंजाइश खत्म हो जाती हैं। डीईओ के स्तर से सीधे नोटिस और सेना व पुलिस प्रशासन की मदद से अवैध निर्माण जमीदोंज, जैसा कि पूर्व में भी कैंट प्रशासन अवैध रूप से बनाए गए बंगलों में करता रहा है। वेस्ट एंड रोड स्थित 223 व 233 एक आवासीय बंगला है स्कूल में जिसको तब्दील कर उसका व्यवसायिक प्रयोग किया जा रहा है। कैंट एक्ट में यह कृत्य लीज खत्म करने के लिए पर्याप्त है और किया भी वैसा ही गया है।
एमपीएस मेन भी अवैध
वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 223 में संचालित किया जा रहा एमपीएस मेन भी पूरी तरह से अवैध है। इसमें समय-समय पर बडेÞ स्तर पर अवैध निर्माण किए गए। इन सभी अवैध निर्माणों को लेकर कैंट बोर्ड का इंजीनियरिंग सेक्शन नोटिस की कार्रवाई करता रहा है। कैंट प्रशासन के नोटिस को लेकर एमपीएस के संचालकों के स्तर से जीओसी इन चीफ के यहां रिट दायर की गई, लेकिन माना जा रहा है कि सेटिंग गेटिंग के चलते संचालकों के स्तर से जीओसी के यहां दायर की गयी रिट को सुनवाई के लिए लिस्ट होने लगातार रोका जाता रहा। लेकिन जानकारों की मानें तो एमपीएस के अवैध निर्माण एकाएक फिर से सैन्य प्रशासन की नजर में आ गए हैं। ये अवैध निर्माण उच्च पदस्थत सैन्य अफसरों को खटकने लगे हैं, जिसके चलते कहा जा रहा है कि 2003 में लिया गया स्टे खत्म होते ही एमपीएस गर्ल्स व एमपीएस मेन पर सेना का बुल्डोजर गरजता नजर आएगा। यह कभी भी हो सकत है। एमपीएस गर्ल्स विंग व एमपीएस मेन पर सेना की संभावित ध्वस्तीकरण कार्रवाई को लेकर इस संवाददाता ने एमपीएस संचालकों से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

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