CEO-बांच रहे अवैध निर्माणों की फाइल, छावनी क्षेत्र में अवैध निर्मणों के जो मामले मेरठ कैंट बोर्ड के पूर्व के अधिकारियों से सेटिंग गेटिंग कर दबवा दिए गए थे, कैंट बोर्ड में नए सीईआ के आने के बाद उनकी धूल झाड़ी जा रही है। ऐसे ही दो मामले फिलहाल रडार पर हैं। पहला मामला छावनी क्षेत्र के वार्ड छह का है। यहां स्वराज पथ इलाके में एक पुराने मकान में सब डिविजन साइट और चेंज आफ परपज कर अवैध निर्माण का आरोप है। इस निर्माण पर कार्रवाई की तलवार लट रही बतायी जाती है। इस अवैध निर्माण की कुंडली पूरी तरह से पढ़ी जा चुकी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस निर्माण पर बुलडोजर चल जाएगा। लेकिन इसमें कैंट अफसर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। एक रात में तीन मंजिला अवैध निर्माण कर लिया जाता है न तो सील की कार्रवाई न ही ध्वतीकरण की। इसके इतर यदि कोई गरीब टायलेट बनाने लगे तो हथोड़ा गैंग आ धमकता है। यह अवैध निर्माण रामलीला कमेटी से जुड़े एक पदाधिकारी का बताया जाता है। इसकी कार्रवाई के पीछे रामलीला की राजनीति भी बतायी जा रही है।
पीपीई एक्ट का मजाक
दूसरा मामला लालकुर्ती छोटा बाजार का है। यूं कहने को लालकुर्ती छोटा बाजार के अवैध निर्माण मामले में साल 2017 में पीपीपीई एक्ट शुरू किया गया था। फिर ऐसा क्या कारण रहा जो जहां कार्रवाई की जानी चाहिए थी वहां कैंट बोर्ड केे अफसर हाथ बांधकर खड़े हो गए। बेहतर तो यही रहेगा कि संबधित की भी भूमिका की जांच कैंट प्रशासन करे। फिलहाल इस अवैध निर्माण की भी फाइल की धूल झाड़ दी गयी है। इतना ही नहीं अवैध निर्माण की नापतोल भी कैंट बोर्ड का स्टाफ कर ले गया है। यह मामला कैंट बोर्ड बनाम राधेश्याम का है।
सोए रहे कैंट अफसर
अवैध निर्माण मामलों में सबसे हैरानी की बात तो यह है कि केवल अवैध निर्माण ही नहीं हो रहे बल्कि अवैध निर्माण, सब डिविजन आफ साइट व चेंज आफ परपज के अलावा अवैध निर्माण कर जो दुकानें बनती हैं वो बेच भी दी जाती है, लेकिन इसके बाद भी कैंट बोर्ड के अफसरों की नींद नहीं टूटती है। यह जरूर हैरानी भरा है।