जब सड़कों का सौदा तो क्यों ना लगे जाम

जब सड़कों का सौदा तो क्यों ना लगे जाम
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जब सड़कों का सौदा तो क्यों ना लगे जाम,
मेरठ/तमाम कवायदों के बाद भी शहर को जाम के जंजाल से मुक्ति के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ताम के लिए बदनाम तमाम प्रमुख बाजारों में ट्रैफिक पुलिस का भारी भरकम अमल नजर आता है, उसके बाद भी जाम की मुसीबत से मुक्ति नहीं मिल रही है। हैरानी तो यह है कि शहर के कई इलाकों में ई रिक्शाओं की एंट्री पर पावंदी के बाद भी जाम सरीखे हालात बने हुए हैं। दिन भर जाम लगा रहता है। कार की बात तो जाने दें अक्सर ऐसा होता है कि बाइक व स्कूटी से भी नहीं निकल पाते हैं। जबकि वहां पर टैफिक पुलिस का अमला पूरी तरह से मुस्तैद नजर आताा, मगर फिर भ्ी वहां जमा लगा रहता है। इसकी बड़ी वजह आने जाने के लिए जो सड़कें हैं उनका सौदा कर दिया गया है।
हापुड़ स्टैंड चौराहा:
ई रिक्शा पर रोक-दुकानें लगाने पर नहीं
शहर को जाम से मुक्त कराने की कवायद की शुरूआत जाम के लिए बदनाम हापुड़ स्टैंड चौराहे से की गयी थी। इस चौराह पर ई रिक्शा बैन कर दी गयीं। चारों ओर पांच सौ मीटर के दायरे में ई रिक्शा की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गयी, लेकिन उसके बाद भी दिन भर जाम लगा रहता है। मेले जैसे नजारा होता है। इसकी बड़ी वजह दुकानों को सड़क पर लगना है। लिसाड़ीगेट से भगत सिंह मार्केट के मोड से इंद्रा चौक की ओर जाने वाले रास्ते की दशा सबसे ज्यादा खराब है। यहां तो पूरी दुकान ही सड़क पर लगायी जाती है। जब दुकान को सड़क पर लगाया जाएगा तो पहले से संकरी दशा में सड़क का क्या हाल होगा।
सोतीगंज मार्केट
वर्कशॉप चलती हैं मेन रोड पर
बेगमपुल चौराहे को ई रिक्शाओं की आवाजाही के लिए पूरी तरह से मुक्त कर दिया गया है। यहां पांच सौ मीटर के दायरे में चारों से ई रिक्शा की आवाजाही पर रोक है। बेगमपुल सोतीगंज चौराहे से आगे टैफिक पुलिस का स्टॉफ ई रिक्शाओं को आगे नहीं जाने देता है। ये ई रिक्शाएं यहां से यूटर्न लेती हैं या फिर यदि सवारी रोडवेज की है तो फिर सोतीगंज से होकर रोडवेज पहुंचती हैं, लेकिन सोतीगंज से ई रिक्शा का गुजरना जाम का दरिया पार करने सरीखा है। सोतीगंज मेन मार्कट में दिल्ली रोड तक सड़क के दोनों ओर आॅटो पार्टस की दुकानें हैं। इन दुकानों की वर्कशॉप सड़कों पर ही चलती है। कई बार तो जाम इतना जबरदस्त होता है कि पैदल भी नहीं निकल पाते। जब सड़क पर वर्कशॉप चलगी तो जाम तो लगेगा ही।
ये तो बात उन दो प्रमुख चौराहों की हो गयी जहां जाम की मुसीबत से बचने के लिए ई रिक्शाओं की एंट्री को बैन कर दिया गया है। हालांकि इसके साइड इफैक्ट बेहद घातक साबित हुए हैं। इतने ज्यादा घातक की आसपास के इलाकों में रहने वालों का इन इंतजामों ने जीना मुहाल कर दिया है।
बाकि शहर भी पुरासा हाल नहीं
आबूलेन, सदर बाजार, वैली बाजार, शारदा रोड, कबाड़ी बाजार सरीखे शहर के प्रमुख बाजारों की यदि बात करें तो जाम की मुसीबत यहां भी है। आबूलेन और सदर बाजार सटे हुए हैं। कैंट एरिया स्थित इन दोनों ही बाजारों में सड़कों को बेच दिया गया है। आबूलेन की बात करें तो रोक के बाद भी यहां चलते फिरते अतिक्रमण यानि जगह-जगह चाट पकौड़ी व अन्य दूसरे खाने के सामानों के काउंटर सड़कों पर सजते हैं। शाम के वक्त आबूलेन पर ज्यादा भीड़भाड़ रहती है और शाम के वक्त ही सड़क पर सजने वाले काउंटर व ठेलों पर भीड़ उमड़ती है। तमाम दुकानों व शोरूमों के आगे यह स्थिति नजर आ जाएगी। सदर में शिव चौक से मंदिर से भीतर की ओर चलने पर सड़क के दोनों ओर दुकानों का सामन सड़क पर सजा हुआ नजर आएगा। शिव चौक मंदिर से लेकर काली माई मंदिर के आगे कलालखाना तिराहे तक सड़क के दोनों ओर ऐसे ही बाजार सजे हुए दिखाई देंगे।
हो यह रहा है
शहर के जिन बाजारों में सड़कों पर दुकानों के बाहर सामान सजाया जाता है दरअसल वहां दुकानदार या फिर संबंधित बाजार के व्यापारिक संगठन के पदाधिकारी ही सड़के बेचने का काम कर रहे हैं। इसमें केवल व्यापारी नेता ही नहीं होते बल्कि थाने का फैंटम और तहबाजारी की पर्ची काटने वाले ठेकेदार के लोग भी शामिल होते हैं। जब हफ्ता मिल रहा हो तो फिर कार्रवाई की कौन करेंगा। सूत्रों की मानें तो आबूलेन इलाके में दुकानों के सामने रहड़ी लगाने के 15 हजार तक लिए जा रहे हैं। बताया गया है कि हर माह होने वाला यह मोटा कलेक्शन तीन जगह बंटता है।
इंतजामों पर भारी हफ्ता वसूली
जब इतने बडेÞ स्तर पर हफ्ता वसूली का खेल चलेगा तो फिर जाम से निपटने के लिए टैफिक पुलिस के इंतजाम कितने कारगर साबि होंगे इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
डीआईजी जता चुके हैं नाराजगी
मेरठ परिक्षेत्र में पारी की शुरूआत के साथ ही डीआईजी कलानिधि नैथानी ने जाम की समस्या को भी गंभीर मानते हुए कुछ पाइंट चिन्हित किए थे। उन्होंने शहर के प्रमुख इलाकों का मौके पर पहुंचकर जायजा भी लिया था। जरूरी निर्देश भी दिए थे, लेकिन जाम की समस्या से तब तक छुटकारा मिलने संभव नजर नहीं आ रहा है जब तक कि महानगर के बाजारों में सड़कों की सेल पर सख्ती से रोक नहीं लगा दी जाती। आबूलेन, सदर बाजार, हापुड़ स्टैंड चौराहा, सोतीगंज सरीखे हालात जब तक बने रहेंगे, तब तक मेरठ को जाम से मुक्त कराने की बात सोचना भी बे-माने होगी।

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