हजरत अली का जन्म दिन मनाया,
मेरठ। अब्दुल्लापुर में शिया समुदाय के लोगों ने हजरत अली का जन्मदिन बड़े की धूमधाम से मनाया और जगह जगह जश्न का माहौल था शिया मुसलमानों के मुताबिक पहले इमाम हजरत अली इब्ने अबुतालिब इस दुनिया में आए थे। दुनियाभर में 13 रजब का दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पैगंबर मौहम्मद के दामाद हजरत अली का जन्म आज के दिन हुआ था। खास बात ये है कि हजरत अली का जन्म मुसलमानों के पवित्र स्थल माने जाने वाले मक्का के खान ए काबा में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि हजरत अली की माता फातेमा बिन्ते असद हजरत अली के जन्म से पहले खान ए काबा के पास गईं और उनके जाते ही दीवार में दरार पैदा होकर एक दरवाजा बना जिसके बाद फातेमा बिन्ते असद खान ए काबा के अंदर गईं। तीन दिन तक बिन्ते असद काबे में रहीं और तीसरे दिन हजरत अली की विलादत (जन्म) हुई, वही अब्दुल्लापुर में मस्जिदों को सजाया जाता है। दरगाहों में कव्वाली का आयोजन किया जाता है. खाने-पीने का इंतजाम किया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग एक दूसरे की दावत करते हैं और खुशियां बांटते हैं। हजरत अली को सुन्नी मुसलमान चौथा खलीफा मानते हैं जबकि शिया मुसलमान उन्हें अपना पहला इमाम मानते हैं। हजरत अली ने 656 ईस्वीं से लेकर 661 ईस्वी तक शासन किया। हजरत अली को उनकी बहादुरी, इंसाफ, ईमानदारी और नैतिकता के लिए पहचाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनकी हुकूमत के दौरान कोई भी भूखा नहीं सोया और किसी के साथ अन्याय नहीं हुआ। हजरत अली के कई ऐसे संदेश हैं जिन्हें लोग अपनी जिंदगी में अपनाकर जिंदगी को आसान और बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ाया।