ना-फरमानी से निगम अफसर मुसीबत में,
मेरठ/फर्जी नियुक्ति प्रकरण में फंसे तेइस कर्मचारियों पर मेहरबानी नगर निगम अफसरों के महंगी पड़ गई है। हाईकोर्ट ने सख्ती का इजहार करते हुए पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही छह सप्ताह के भीतर प्रकरण के निस्तारण के भी आदेश दिए हैं। कमिश्नर व शासन के मुख्य सचिव की मनाही के बाद भी तेइस फर्जी नियुक्ति में फंसे कर्मचारियों का वेतन रिलीज करना निगम के अफसरों जिनमें कई आईएएस अफसर भी शामिल हैं, महंगा पड़ गया है। उन पर अब पुलिस की कार्रवाई की तलवार लटक रही है। वहीं दूसरी यह भी तय है कि अफसरों को कोर्ट में घसीटा जाएगा।
यह है पूरा मामला
नगर निगम के फर्जी नियुक्ति में फंसे तेइस कर्मचारियों की सेलरी पर रोक के आदेश पूर्व में तत्कालीन कमिश्नपर व शासन के मुख्य सचिव ने वाया जिला प्रशासन, निगम अफसरों को दिए थे, लेकिन आरोप है कि मनाही के बाद ही नियमित रूप से इन तेइस कर्मचारियों की सेलरी रिलीज की जाती रही। इस बीस यह मामला सीबीसीआईडी को भी रैफर किया गया। सीबीसीआईडी आगरा के अफसरों ने मामले में एफआईआर भी दर्ज की, यहां तो सीबीसीआईडी रफ्तार में नजर आयी, लेकिन उसके बाद चाल पर एकाएक ब्रेक लग गए। जिसके चलते गंभीर आरोप लगाते हुए इस मामले को प्रशासन, शासन, मानवाधिकार आयोग, पीएओ व राष्टÑपति भवन और अंत में हाईकोर्ट में ले जाने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट बीके गुप्ता तेइस कर्मचरियों की सेलरी मामले को लेकर विगत 12 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट में चले गए। मामले की सुनवाई के उपरांत हाईकोर्ट ने इसी 8 जनवरी को पुलिस को मामले का छह सप्ताह के भीतर निस्तारण करने तथा कृत कार्रवाई से अवगत कराने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता वीके गुप्ता का आरोप है कि कमिश्नर व शासन के सचिव के मनाही के आदेश के बावजूद निगम के अफसरों ने फर्जी नियुक्ति में फंसे तेइस कर्मचारियों की सेलरी रिलीज की। उन्हें अन्य राजस्व संबंधित लाभ प्रदान किए जो नहीं दिए जाने चाहिए थे। ऐसा करने वाले करीब दो दर्जन बताए जा रहे अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इनमें कई अधिकारी आईएएस भी हैं। यायिकाकर्ता ने यह भी बताया कि तेइस फर्जी नियुक्ति मामले को लेकर शीघ्र ही एक अन्य आदेश भी हाईकोर्ट से आने की उम्मीद है। उन्होंने जोरदेकर यह भी कहा कि इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने की वजह से उन्हें अहित पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने सुरक्षा मुहैय्या कराए जाने की मांग की है।
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