मुझको राणा जी माफ करना..,
मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई
2000 कारतूस प्रकरण में राणा जी का नाम लेकर पकड़ लिया उड़ता तीर
मेरठ समेत चार जिलों में शूटिंग रेंज नहीं तो फिर किस की हो रही जांच
प्राइवेट शूटिंग रेंजों की एयर पिस्टल में कारतूसों का यूज नहीं, फिर भी जांच का खेल
मेरठ/कारतूसों की अवैध तस्करी में देहरादून की शूटिंग रेंज के राणा जी का नाम लेकर मेरठ पुलिस ने उड़ता तीर पकड़ लिया, जिससे खुद के जख्मी होने के खौफ ने आला अफसरों की नींद उड़ा दी है। दरअसल कारतूस तस्करी कांड़ में पुलिस का रवैया बजाए कसूरवारों मसलन जिनका नाम टैक्सी डाइवर के हवाले से शुरूआत में एसटीएफ वालों ने लिया था, उनके गिरेबां तक हाथ डालने के बजाए पूरे महकमे ने अपनी ताकत उस ओर से ध्यान डायर्वट करने में लगा दी है। कारतूस तस्करी कांड में तमाम आला अधिकारी साफ्ट टारगेट तलाशने में जुट गए हैं। इस मामले में यह भी साफ कर दिया जाए कि जिस शख्स को कारतूस कांड में गाड़ी समेत पकड़ा गया है वो गाड़ी टैक्सी नंबर है। तो यह मान लिया जाए कि जिन तस्करी के कारतूसों की बरामदगी व एक …. की गिरफ्तारी का दावा किया जा रहा है वो शख्स टैक्सी ड्राइवर है। यहां यह भी याद रहे कि इस गुडवर्क के खुलासा करने वाले पुलिस के अधिकारी ने मीडिया को यह भी बताया था जिन राणा ने इसको अपनी शूटिंग रेंज से दो हजार कारतूसों के साथ रवाना किया था, उन्होंने यह भी कहा था कि मेरठ के बेगमपुल पहुंचकर कॉल करना तब बताएंगे कि डिलीवरी कहां देनी है। बेगमपुल से सटा हुआ पीएल शर्मा मार्केट है और पीएल शर्मा मार्केट में बंदूकों का पूरा मार्केट हैं। देहरादून में शूटिंग रेंज चलने वाले राणा का कनेक्शन जरूर पीएल शर्मा रोड के ही किसी शस्त्र विक्रेता से हैं। यह शस्त्र विक्रेता कौन हो सकता है, इसका भी खुलासा कारतूसों की तस्करी का खुलासा करने वाले अधिकारी अभी तक नहीं कर सके हैं।
कौन सी शूटिंग रेंज की बात है की जा रही
कारतूस कांड सामने आने के बाद जोरशोर से शिकंजा और जांच की बात की जा रही है। एक-एक गोली का हिसाब मांगने जाने की बात कही जा रही है। बेचने व खरीदने वालों पर शिकंजे का दम भरा जा रहा है। यदि यह बात सही है तो फिर यह मान लिया जाए कि मेरठ में जो दो शूटिंग रेंज जिनमें से एक के अध्यक्ष डीएम होते हैं तथा बाकि के अधिकारी उसके पदेन पदाधिकारी होते हैं उनकी जांच की जाएगी या फिर जो उस शूटिंग रेंज की जांच की जाएगी जो स्टेडियम के आरएसओ के आधीन संचालित की जा रही है। यदि प्रशासन व आरएसओ के आधीन चलने वाली शूटिंग रेंज की जांच की बात कही जा रही है तो फिर वाकई यह गंभीर विषय है। कारतूस तस्करी मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों के हाथ जरूर कुछ ऐसा लगा है जिसके चलते उक्त दोनों शूटिंग रेंजों के जांच के दायरे में आने के कयास लगाए जा रहे हैं।
ये शूटिंग रेंज तो जांच के दायरे में
प्रशासन व आरएसओ की शूटिंग रेंज के इतर जो अन्य शूटिंग रेंज मेरठ में देश के लिए मेडल जीत कर लाने वाले खिलाड़ियों के लिए संचालित की जा रही हैं, उनकी यदि बात की जाए तो उनमें तो केवल एयरगन यूज की जाती है। एयरगन में किसी भी प्रकार का अग्नेय शस्त्र में शामिल कारतूस शुमार नहीं किया जाता। जब वहां कोई अग्नेय शस्त्र में यूज होने वाला कारतूस ही यूज नही तो फिर वहां किस बात की जांच या फिर यह मान लिया जाए जैसा की आशंका व्यक्त की जा रही है या सवाल पूछा जा रहा कि टैक्सी नंबर गाड़ी के साथ दो हजार कारतूसों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किए गए जिस राशिद पुत्र शमशाद निवासी जोला बढ़ाना की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ की ओर से मीडियो को बताया गया कि बरामद किए गए कारतूस सुभाष राणा व सक्षम मलिक ने देहरादून की इंस्टीट्यूट आॅफ शूटिंग स्पोर्टस (आरआईएस) से उसको दिए हैं और कहा है कि मेरठ में किसी शख्स को देने हैं। मेरठ में किसको देने हैं यह जानकारी मेरठ में पहुंचने के बाद काल करने पर देने की बात भी सुभाष राणा सक्षम मलिक ने कही बतायी गयी। जब इतनी ठोस जानकारी गिरफ्तार किए गए राशिद से मिल गयी है तो फिर ऐसा क्या है इतने बडेÞ गुडवर्क के बाद मेरठी पुलिस अधिकारी सुभाष राणा और समक्ष मलिक का एक बार नाम तक लेने को तैयार नहीं। इतना ही नहीं इतने बडेÞ गुडवर्क के बाद पूरी ताकत से मामले को दूसरी ओर धकेला जा रहा है। पुलिस के बडेÞ अधिकारी तमाम सारी बातें कर रहे हैं, लेकिन यह कोई बताने को तैयार नहीं कि सुभाष राण और सक्षम मलिक और देहरादून की आरआईएस शूटिंग रेंज में जाकर क्या जांच पड़ताल की गई। क्योंकि यह तो साफ हो गया है कि देहरादून की आरआईएस शूटिंग रेंज सरीखे मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़ व बागपत जनपद में एक भी शूटिंग रेंज नहीं। जब शूटिंग रेंज नहीं तो जांच और शिकंजा किस पर कसने की बात की जा रही हैं। मेरठ की बात करें तो ऊपर बताया जा चुका है कि शूटिंग रेंज के नाम पर जो भी प्राइवेट सेंटर संचालित हो रहे हैं वहां केवल एयरगन यूज की जाती है। इन एयरगन में कोई ऐसा कारतूस यूज नहीं होता है जो अग्नेयात्र में यूज किया जाता हो।
कौन है सुभाष राणा
टैक्सी नंबर गाड़ी में दो हजार कारसूतों की खेप लेकर आ रहे जोला मुजफ्फनगर के राशिद से मिली जानकारी के बाद जिन सुभाष राणा का नाम गुडवर्क करने वाले टीम के अफसर बार-बार ले रहे थे उनकी यदि बैकग्राउंड की बात करें तो उसकी जानकारी के बाद भले ही कोई कितना भी बड़ा अफसर क्यों न हो, वहां हाथ डालने की शायद ही हिमात कर करें तभी तो कहना पड़ रहा है कि मुझको राणा जी माफ करना..गलती म्हारे से हो गयी..