EOW को झटका पांच को अरेस्ट स्टे,
मेरठ/छात्रवृत्ति घोटले की जांच करने वाले ऐजेन्सियों की लचर कार्रवाई व मजबूत पैरवी न किए जाने के चलते और पांच आरोपियों को सोमवार को कोर्ट से राहत मिल गई है। घोटाले के कथित करीब दर्जन भर आरोपी अब तक हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे हासिल कर चुके हैं। यह पूरा मामला 405 छात्रों को छात्रवृति राशि 4.5 करोड़ रुपये गबन से जुड़ा है। मामले की हाईकोर्ट में आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट सुनील चौधरी ने पांच आरोपियों को अरेस्ट स्टे की जानकारी इस संवाददाता को दी। उन्होंने बताया कि मामले में अलीजान प्रबन्धक न्यू इंडियन पब्लिक स्कूल, बुनकरनगर, अय्यूब व कोषाध्यक्ष मदरसा जियाउल कुरान परीक्षितगढ़ 440 पर 7,66,800 रुपये बच्चों के गबन का आरोप है। इनके अलावा सलीम खान प्रबन्धक दानिश पब्लिक स्कूल पर 200 बच्चों पर 2 लाख रुपये गबन का आरोप, मोहम्मद इसहाक अंसारी प्रबन्धक रोजी पब्लिक स्कूल पर 633 बच्चों पर 6,33,000 रुपए गबन के आरोप में छात्रवृति गबन के मामले में दर्ज मुकदमे में चल रही जांच में गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व प्रवीन कुमार गिरी की अदालत ने याची के एडवोकेट सुनील चौधरी को सुनकर दिया। कई आदेश अलग अलग याचिकाओं में पारित हुए है। याचीगण के विरुद्ध आर्थिक अपराध शाखा -थाना ने मुकदमा दर्ज कराया कि याची ने छात्रवृत्ति की धनराशि का नगद वितरण बता कर अधिकारी व क्लर्क के साथ मिलकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन कर लिया जबकि बच्चो के खातों में पैसा जाना चाहिए था। एडवोकेट सुनील चौधरी ने बताया कि याचीगण ने नगद वितरण किया है और ईओडब्लू. की जांच में सहअभियुक्त संजय त्यागी की जांच में स्वयं यह माना है कि गबन का कोई आरोप नही पाया गया। केवल भारत सरकार की गाइड लाइन का उलंघन किया गया है। याची ने तत्कालीन सीडीओ के निर्देश पर अधिकारियों की मौजूदगी में नगद छात्रत्रवृति का वितरण किया है । गाइडलाइन के अनुसार मदरसा संचालको के खातों में छात्रवृत्ति भेजी थी जो छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण नियमानुसार कर दिया गया था। 14 साल बाद जांच शुरू कर याची को गिरफ्तार करना चाहती है।
याची अधिवक्ता की दलील को सुनकर हाइकोर्ट ने ईओडब्लू मेरठ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में राज्य सरकार सहित पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध संगठन मेरठ व अन्य को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया और याची के विरुद्ध चल रही जांच में पुलिस रिपोर्ट प्रेषित या पुलिस रिपोर्ट पर न्यायालय के द्वारा संज्ञान लिए जाने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। 6 सप्ताह के बाद अन्य याचिकाओ के साथ सुनवाई की तिथि नियत की है ।