STF अफसरों को मान रही कसूरवार

STF अफसरों को मान रही कसूरवार
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STF अफसरों को मान रही कसूरवार,

एसटीएफ ने जिन्हें कसूरवार माना उन्हें क्लीनचिट को अमादा बाकि ऐजेंसियां

मेरठ। साल 2018 में अंजाम दिए गए राशन घोटाले में एसपी एसटीएफ की टीम ने जिन अफसरों को कसूरवार मानकर शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की संस्तुति की थी एसटीएफ से इतर बाकि जांच ऐजेन्सियां खाद्य विभाग के उन अफसराें को बचाने के लिए बेकसूर साबित करने को छटपटा रही हैं। जानकारों की माने तो इसी के चलते बजाए कार्रवाई के राशन घोटाले में केवल और केवल घोटाले में लिप्त आपूर्ति विभाग के अफसरों को बचाने के लिए जांच ऐजेन्सियां तो बदली जा रही हैं, लेकिन एसटीएफ ने मेरठ समेत प्रदेश के 43 जनपदों के जिन अफसरों पर कार्रवाई की संस्तुति की उन पर हाथ डालने को कोई तैयार नहीं। प्रदेश के राज्य खाद्य आयोग ने प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद को 27 अगस्त 2018 को भेजी चिट्टी में डीएसओ इलाहाबाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। प्रदेश के फूड कमिश्नर ने इसके चलते  29 अगस्त 2018 को एसपी एसटीएफ के निर्देशन में घोटाले की जांच को टीम का गठन किया। इसके अलावा यूपी एनआईसी लखनऊ के कंप्यूटर प्रोग्रामर अद्यायुक्त अनिमेष वाजपेयी द्वारा गठित की गयी जांच टीम में कहीं नहीं लिखा की राशन डीलरों पर मुकदमा लिखवाया जाए। इसके बाद भी एसटीएफ की जांच के बाद जो जांच टीमें इस मामले में गठित की गयीं, उन्होंने जिन्हें एसटीएफ ने अपनी जांच में कसूरवार माना उनमें से किसी भी एक अफसर के खिलाफ कार्रवाई तो दूर लिखा पढ़ी तक नहीं की।

एसटीएफ ने बनाया तेरह अफसराें मुल्जिम

यूपी एसटीएफ ने मुकदमा अपराध संख्या 7/2018 में आपूर्ति विभाग के तेरह आपूर्ति निरीक्षकों को मुल्जिम बनाया था। एसटीएफ के बाद जो अन्य जांच ऐजेन्सियां लगायी गयी उन्होने 43 जनपदों में राशन घोटाले की जांच में एक भी आपूर्ति अफसर को मुल्जिम नहीं बनाया। छह माह में यह जांच पूरी किए जाने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे, लेकिन सात साल बाद भी अफसराें को बचाने के नाम पर केवल जांच-जांच का खेल खेला जा रहा है। मामले की पैरवी करने वाले सरकारी सत्ता गल्ला विक्रेता यूनियन सरधना  के मैराजुद्दीन का आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद एसपी एसटीएफ ने इतना लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं की। उन्होंने बताया कि आज तक यह स्पष्ट नहीं कि किस के आदेश पर एसटीएफ लखनऊ से जांच ली गयी।

सीबीसीआईडी  की जांच पर सवाल

राशन घोटाले की जांच का काम वर्तमान में सीबीसीआईडी के हाथों में है लेकिन जांच के तरीके को लेकर मैराजुद्दीन सीबीसीआईडी पर भी गंभीर सवाल उठा चुके हैं। उनका कहना है कि जांच के नाम पर सीबीसीआईडी की टीम ने केवल मौखिक बातचीत की है। कार्डधारक उपभोक्ताओं जिसने बात की, उनके केवल आधार व मोबाइल नंबर लिए। यदि बयान दर्ज किए गए तो जो बयान दर्ज किया उस पर बयान देने वाले के हस्ताक्षर कराए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया। मैराज बताते हैं कि इसी के चलते कुछ राशन कार्ड धारकों ने आपत्ति करते हुए सीबीसीआईडी को पत्र भी लिखा है।

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