कभी तो अपनी भी कालोनी की सुध लें मेडा अफसर
एक पीढ़ी गुजर गयी प्राधिकरण से एक अदत प्लाट के इंतजार में
मेरठ/ प्राइवेट बिल्डर्स की कालोनियों में उनकी प्लाट्स की नीलामी की बात करने वाले प्राधिकरण के अफसरों को लगता है कि महानगर में अपनी कालोनियों की सुध लेने की फुर्सत नहीं हैं। जिन बातों तो लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अफसर प्राइवेट कालोनाइरों पर शिकंजे की बात करते हैं, उन तमाम चीजों को अपनी कालोनियों मसलन जिन कालोनियों को खुद प्राधिकरण ने काटा है उन पर लागू करने से शुरूआत क्यों नहीं करते। दरअसल ऐसा इसलिए नहीं किया जा रहा है कि क्योंकि प्राधिकरण की तमाम कालोनियां जनसुविधाअों के मामले में बदहाल हैं। हकीकत तो यह है कि प्राधिकरण अफसरों को खुद भी नहीं पता कि जिन कालोनियों में मकान व प्लाट देने के नाम पर उन्होंने आवंटियों से मोटी रकम डकार ली है, उन कालोनियों का स्टेटस क्या है। उनकी ऐसी कालोनियों तमाम कालोनियां हैं जहां उन्होंने प्लाटों को आवंटन तो कागजों में कर दिया है, लेकिन जहां आवंटी को प्लाट दिया जाना है उस जमीन पर किसान की हरी भरी फसल लहलहा रही है। ऐसे तमाम मामले हैं जहां अंधाधुंध आवंटन कर दिए गए और जहां जमीन आवंटित की गयी है वहां प्राधिकरण के अफसर पांव रखने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जिन किसानों की जमीन की अधिग्रहण का दम ये अफसर भरते हैं वहां के मौके पर जाना तो दूर की बात किसानों से मौके पर जाकर आंखें मिला कर बात करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके इतर किसान जब और जहां चाहते हैं प्राधिकरण के अफसरों को अपनी शर्तों पर घुटने टेकने पर मजबूर कर देते हैं।
बात करें यदि प्राधिकरण की कालोनियों की तो नागरिक सुविधाओं के नाम पर हालात नारकीय हैं। वेद व्यासपुरी और शताब्दी नगर
ग्रीन पर्दे की आड़ में नजर नहीं आते अवैध निर्माण
महानगर के टाउन प्लानिंग की बात करने वाले प्राधिकरण के अफसरों को जहां भी ग्रीन पर्दा डालकर अवैध निर्माण चल रहे हैं वो नजर नहीं आते। इसकी बड़ी वजह जब जेब भारी हो जाती है तो कार्रवाई करने वाले हाथ ढीले पड़ जाते हैं। यही वजह है मेरठ में अवैध निर्माणों की बाढ़ आयी हुई है और सेटलाइट से अवैध निर्माणों पर नजर रखने का दम भरने वाले प्राधिकरण अफसरों को अपने आसपास के भी अवैध निर्माण नजर नहीं आते। इसकी बड़ी मिसाल सिविल लाइन के नेहरू रोड ओर पूर्वी कचहरी मार्ग पर पर्दा डालकर किए जा रहे अवैध निर्माण हैं। सिविल लाइन के नेहरू नगर कचहरी नाले के सामने मकान तो होटल में तब्दील करने के लिए किए जा रहे अवैध निर्माण को सील कर दिया गया है, लेकिन सील की कार्रवाई के बाद ग्रीन पर्दा डालकर वहां तेजी से निपटाया जा रहा काम प्राधिकरण अफसरों को नजर नहीं आ रहा है। इसी तर्ज पर पूर्वी कचहरी मार्ग पर शंकर आश्रम के सामने एक मकान को हॉस्पिटल में ना केवल तब्दील कर दिया गया बल्कि वहां तीन मंजिला इमारत खड़ी कर दी गयी है।
कभी खुद की गिरवां में भी झांके मेडा अफसर
