LLRM में बैगर चीरफाड़ दिल की सर्जरी, लाला लाजपत राय मेडिकल व संबंद्ध सरदार बल्लभ भाई पटेल अस्पताल में सोमवार को बगैर किसी चीडफाड़ के पहली बार दिल का आपरेशन किया गया है। चिकित्सा सेवाओं की यदि बात की जाए तो आम तौर पर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की इमेज आम आदमी में अच्छी नहीं होती, लेकिन एलएलआरएम इस मिथक को तोड़ रहा है। मेडिकल के मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पाण्डेय ने बताया
एक सामान्य हृदय में, ऑक्सीजन विहीन रक्त दायें आलिंद (एट्रियम)में प्रवेश करता है और फिर वह दाये निलय (वेंट्रिकल) के द्वारा फेफडों में भेजा जाता है। फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त हृदय की बाएं आलिंद में प्रवेश करता है और बाएं निलय के माध्यम से सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित किया जाता है। मानव हृदय में दो अलिंद होते हैं दोनों अलिंद को एक दीवार (सेप्टम) एक दूसरे से अलग करता है। हृदय के अलिंद की दीवार (सेप्टल) में पाये जाने वाले दोष को ठीक करने के लिए की जाने वाली शल्य प्रक्रिया को अलिंद दीवार (सेप्टल ) दोष सर्जरी के रूप में जाना जाता है। हृदय रोग विभाग की सह आचार्य डॉ मुनेश तोमर व टीम ने मेरठ निवासी 13 वर्षीया सोनिया जो जन्मजात सेप्टल से ग्रसित थी। बगैर किसी चीरफाड़ के डिवाइस क्लोजर विधि से दिल का छेद बन्द किया गया। मेडिकल कॉलेज में इस तरह की चिकित्सा पहली बार की गयी। परिजन इसको लेकर एम्स भी गए थे, लेकिन राहत एलएलआरएम में मिली। दरअसल परिजनों को पता चला कि इस तरह की शल्य चिकित्सा मेडिकल कॉलेज मेरठ में प्रारंभ हो चुकी है फिर हमने बच्ची को डा मुनेश तोमर को दिखाया और आज उन्होंने ऑपरेशन कर दिया मैं डॉ मुनेश तोमर और मेडिकल कॉलेज प्रशासन का बहुत आभार प्रकट करता हूँ। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने डॉ मुनेश तोमर एवम उनकी टीम तथा हृदय रोग विभाग को बधाई एवम शुभकामनाएं दीं। डा. मुनेश तोमर ने इसका पूरा श्रेय डा. आरसी गुप्ता को दिया है।