रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर की चेतावनी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के मुसलमानों के प्रति व्यवहार को लेकर चेतावनी देते हुए इसको देश के लिए घातक बताया है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित कांग्रेस पार्टी के एक प्रकोष्ठ ‘अखिल भारतीय प्रोफेशल कांग्रेस’ के पांचवें सम्मेलन में राजन ने कहा कि अल्पसंख्यकों को ‘दोयम दर्ज के नागरिक’ में तब्दील करने का कोई भी प्रयास देश को विभाजित करेगा. राजन ने ‘भारत के आर्थिक विकास के लिए उदार लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है.’ उन्होंने कहा कि बहुसंख्यकवाद से जुड़ी निरंकुशता को क्यों परास्त किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यकों के एक बड़े वर्ग को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का कोई भी प्रयास देश को विभाजित करेगा और आंतरिक असंतोष पैदा करेगा. इससे देश में विदेशी दखल की आशंका भी बनेगी. श्रीलंका में जारी संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह द्वीपीय देश इस बात का नतीजा देख रहा है, जब देश के नेता रोजगार उत्पन्न करने में असमर्थता से ध्यान हटाने की कोशिश में अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते हैं. राजन ने कहा कि उदारवाद एक संपूर्ण धर्म नहीं है और हर प्रमुख धर्म का सार यह है कि वह हर किसी में यह खोजे कि उसमें क्या अच्छाई है, जो कई मायनों में उदार लोकतंत्र का सार भी है. उन्होंने दावा किया कि भारत की धीमी वृद्धि दर सिर्फ कोविड-19 महामारी के कारण नहीं है, बल्कि अर्थव्यस्था में नरमी पहले से थी. लगभग एक दशक के लिए शायद वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के बाद से हम उतना अच्छा नहीं कर रहे हैं, जितना हम कर सकते थे. केंद्र की अग्निवीर सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि इससे पता चलता है कि युवा नौकरियों के लिए कितने आकांक्षी हैं.‘अभी कुछ समय रेलवे की 35,000 नौकरियों के लिए 1.25 करोड़ आए, यह विशेष रूप से चिंताजनक है, भारत में नौकरियों की कमी है। महिला श्रम शक्ति भागीदारी 2019 में 20.3 प्रतिशत है, जो जी-20 में सबसे कम है.
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर की चेतावनी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश के मुसलमानों के प्रति व्यवहार को लेकर चेतावनी देते हुए इसको देश के लिए घातक बताया है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित कांग्रेस पार्टी के एक प्रकोष्ठ ‘अखिल भारतीय प्रोफेशल कांग्रेस’ के पांचवें सम्मेलन में राजन ने कहा कि अल्पसंख्यकों को ‘दोयम दर्ज के नागरिक’ में तब्दील करने का कोई भी प्रयास देश को विभाजित करेगा. राजन ने ‘भारत के आर्थिक विकास के लिए उदार लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है.’ उन्होंने कहा कि बहुसंख्यकवाद से जुड़ी निरंकुशता को क्यों परास्त किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यकों के एक बड़े वर्ग को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का कोई भी प्रयास देश को विभाजित करेगा और आंतरिक असंतोष पैदा करेगा. इससे देश में विदेशी दखल की आशंका भी बनेगी. श्रीलंका में जारी संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह द्वीपीय देश इस बात का नतीजा देख रहा है, जब देश के नेता रोजगार उत्पन्न करने में असमर्थता से ध्यान हटाने की कोशिश में अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते हैं. राजन ने कहा कि उदारवाद एक संपूर्ण धर्म नहीं है और हर प्रमुख धर्म का सार यह है कि वह हर किसी में यह खोजे कि उसमें क्या अच्छाई है, जो कई मायनों में उदार लोकतंत्र का सार भी है. उन्होंने दावा किया कि भारत की धीमी वृद्धि दर सिर्फ कोविड-19 महामारी के कारण नहीं है, बल्कि अर्थव्यस्था में नरमी पहले से थी. लगभग एक दशक के लिए शायद वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत के बाद से हम उतना अच्छा नहीं कर रहे हैं, जितना हम कर सकते थे. केंद्र की अग्निवीर सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि इससे पता चलता है कि युवा नौकरियों के लिए कितने आकांक्षी हैं.‘अभी कुछ समय रेलवे की 35,000 नौकरियों के लिए 1.25 करोड़ आए, यह विशेष रूप से चिंताजनक है, भारत में नौकरियों की कमी है। महिला श्रम शक्ति भागीदारी 2019 में 20.3 प्रतिशत है, जो जी-20 में सबसे कम है.
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