बेसब्री से रंजीत की वापसी का इंतजार, मेरठ छावनी मंदिर मार्ग स्थित ऋषभ एकाडेमी के सचिव रंजीत जैन की वापसी का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि 7 सितंबर को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में माननीय न्यायालय से रंजीत जैन के चाहने वालों का इंतजार खत्म होगा। हालांकि किसी नतीजे पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन पैरोकारों की मानें तो विपक्षीगण द्वारा जिस प्रकार से अनुचित साधन का प्रयोग कर ऋषभ के सचिव की वापसी में बार-बार अड़ंगा लगाया जा रहा है, रंजीत जैन की वापसी के बाद तमाम प्रकरणों की अदालत की मार्फत ही जांच कराई जाएगी। दरअसल रंजीत जैन की वापसी और बेसब्री से इंतजार के एक नहीं अनेक कारण बताए जा रहे हैं। तमाम कारण ऋषभ एकाडेमी के विगत दिनों हुए घटनाक्रमों से जुड़े हैं। ऋषभ के सचिव से हमर्ददी रखने वालों का सबसे बड़ा तर्क तो यही है कि सदर जैन समाज के इस शिक्षण संस्थान में कभी भी पुलिस के आने की नौबत रंजीत जैन ने नहीं आने दी। कोई बड़ा विवाद नहीं होने दिया। ऋषभ में यदि कोई आपसी विवाद हुआ तो उसे भी सचिव ने समझारी दिखाते हुए आपसी सहमति से निपटा दिया। लेकिन पुलिस कभी भी ऋषभ एकाडेमी के अंदरूनी व आपसी विवादों में नहीं आयी। बकौल पैरोकार विपक्षी भले ही कुछ भी तर्क क्यों न देते रहें, लेकिन सदर का जैन समाज शिक्षण संस्थान में पुलिस का बार-बार आना उचित नहीं समझता। इसके अलावा स्टाफ के साथ कथित रूप से भेदभाव खासतौर से पिछले दिनों एक महिला शिक्षक के साथ किए गए व्यवहार को भी जैन समाज की सभ्यता व परंपराओं के अनुकूल नहीं माना जा रहा है। पैरोकारों व रंजीत जैन के समर्थकों का कहना है कि जिस महिला शिक्षक के साथ दुर्ग्यवहार व अपमान जनक व्यवहार किया गया, वह जैन समाज की ही है। रंजीत जैन के रहते हुए कभी भी जैन समाज ही नहीं बल्कि किसी भी महिला शिक्षक से दुर्व्यवहार नहीं किया गया। सदर जैन समाज को यह स्वीकार्य नहीं।