मरघट के सन्नाटे में खलल डालने पर उतारू है भूमाफिया

कार्रवाई के इंतजार में रहे बिक
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मरघट के सन्नाटे में खलल डालने पर उतारू है भूमाफिया, सोने चांदी के सिक्कों की खनक सुनने का आदि हो चुका दौराला का एक भूमाफिया मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन बी के रूडकी रोड सोफीपुर स्थित मरघट यानि हिन्दू शमशान के सन्नाटे में खलल डालने पर उतारू है। आमतौर पर होता यह है कि जहां भी मरघट होते हैं, उससे कुछ दूर ही भूमाफिया से बिल्डर बनने वाले मार्केट बनाते हैं, लेकिन जिस भूमाफिया का यहां जिक्र किया जा रहा है, वह  मरघट में चिरनिद्रा में सोई आत्माओं की नींद में खलल डालने पर उतारू है। इस भूमाफिया ने सोफीपुर के शमशान घाट से सटे एक खेत में पूरा मार्केट बना डाला है। अरसे ये यहां दुकानों का अवैध निर्माण किया जा रहा था यह बात अलग है कि इस एमडीए के इस जोन के जोनल अधिकारी व अवर अभियंता सब कुछ जानते बूझते हुए भी अंजान बनने का नाटक करते रहे। नाटक शब्द का इसलिए प्रयोग किया जा रहा है कि क्योंकि जब जोनल अधिकारी विमल सोनकर से शमशान के बगल में भूमाफिया के मार्केट को लेकर सवाल किया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए गेंद जाेन के अवर अभियंता के पाले में डालते हुए सफाई दी कि इसकी जानकारी नहीं, वह अवर अभियंता से जानकारी लेंगे। करीब सौ से ज्यादा अवैध दुकानों का खेत में निर्माण कर लिय जाता है और उसके बाद भी जोनल अधिकारी कहें कि उन्हें जानकारी नहीं तो कहीं न कहीं उनकी डयूटी में ही खोट में मानी जाएगी। सोफीपुर में मरघट यानि हिन्दुओं का शमशान घाट है। सैकड़ों सालों से यहां शवों का दहन किया जा रहा है। मरघट के आसपास खेत की जमीन है, वहां किसान खेती करते हैं। कुछ समय पूर्व क्षेत्र के भाजपा पार्षद ने शमशान घाट की चारदीवारी करा दी थी। चारदीवारी का होना था और भूमाफिया की नजर शमशान से सटे आसपास के खेतों पर पड़ गई। उसने बगैर देरी किए वहां पर दुकानों का काम शुरू करा दिया। करीब तीन से चार माह के बीच यहां लगभग सौ दुकानों का अवैध रूप से निर्माण कर लिया गया। जानकारों की मानें तो मेरठ विकास प्राधिकरण से कोई नक्शा पास कराए बगैर ही शमशान के सन्नाटे को भंग करते हुए यहां अवैध दुकानें ही नहीं बनायी है, बल्कि इन दुकानों का अब सौदा चल रहा है। आसपास के लोगों की मानें तो भूमाफिया भी जनता है कि उसके अवैध मार्केट की जानकारी यदि मेरठ विकास प्राधिकरण अध्यक्ष या उपाध्यक्ष सरीखे उच्च पदस्थ अधिकारियों तक पहुंच गयी तो ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई भी संभव है। इसलिए इन दुकानों को तेजी से बचा जा रहा है। भूमाफिया के कारिंदे यहां अवैध मार्केट के पास ही चौबीस घंटे डेरा डाले बैठे रहते हैं। जिस भी रेट पर उनकी दुकानों का सौदा हो रहा है, वो कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी जानकारी मिली है कि दबंग प्रवृत्ति के इस भूमाफिया का इलाके में अच्छा खासा खाैफ है, शायद यही कारण है जो इस क्षेत्र के कानून काे मानने वाले इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस नहीं कर रहे हैं। लेकिन कुछ का यह भी कहना है कि मरघट के पास अवैध मार्केट बनाने वाला यह भूमाफिया इन दिनों मरघट की दुकानों को लेकर खासा परेशान भी नजर आता है। लेकिन यहां बात भूमाफिया की परेशानी या टेंशन की नहीं बल्कि मेरठ विकास प्राधिकरण के उन अधिकारियों की जा रही है जिन्होंने सरकार से भारी भरकम सेलरी तो ली, लेकिन अपनी डयूटी को सही तरह से अंजाम नहीं दिया।

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