RSS के किसान संगठन ने चेताया, नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध किसानों के संगठन ने सोमवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना’ रैली कर चेतावनी दी कि अगर समय पर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो राज्यों और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. भारतीय किसान संघ (बीकेएस) द्वारा आयोजित रैली में भाग लेने के लिए पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड का सामना करते हुए ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और बसों से दिल्ली पहुंचे. बीकेएस के एक सदस्य ने कहा कि वे कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि सहित सरकार से राहत उपायों की मांग करते हैं. इस दौरान किसानों ने अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग भी उठाई. संगठन ने कहा, ‘किसानों को एमएसपी से लागत और लाभ नहीं मिलता है, जबकि किसान की उपज से बने उत्पाद से कंपनियां एमआरपी यानी अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर लाभ कमाती हैं. किसानों को भी लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए.’बीकेएस ने एक ट्वीट में कहा, ‘लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण किसान और गरीब तथा. कर्जदार होता जा रहा है. उसके बच्चों का जीवन अंधकारमय और स्वयं का जीवन नरकमय बन चुका है.’ संगठन ने कहा, ‘आज फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं. ऐसे में किसानों को लाभकारी मूल्य न मिलना उनके साथ अन्याय है.’ संगठन ने कहा, ‘कृषि उत्पादों का मूल्य नियंत्रण सदा ही रहा है. इस कारण स्वतंत्र बाजार व्यवस्था विकसित नहीं हो सकी. कृषि आदान महंगे होते जा रहे हैं, परंतु न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत पीछे है.’ बीकेएस द्वारा जारी एक नोट में कहा गया, ‘यदि समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो राज्य और केंद्र सरकारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.’
RSS के किसान संगठन ने चेताया, नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध किसानों के संगठन ने सोमवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना’ रैली कर चेतावनी दी कि अगर समय पर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो राज्यों और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. भारतीय किसान संघ (बीकेएस) द्वारा आयोजित रैली में भाग लेने के लिए पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड का सामना करते हुए ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और बसों से दिल्ली पहुंचे. बीकेएस के एक सदस्य ने कहा कि वे कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि सहित सरकार से राहत उपायों की मांग करते हैं. इस दौरान किसानों ने अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग भी उठाई. संगठन ने कहा, ‘किसानों को एमएसपी से लागत और लाभ नहीं मिलता है, जबकि किसान की उपज से बने उत्पाद से कंपनियां एमआरपी यानी अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर लाभ कमाती हैं. किसानों को भी लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए.’बीकेएस ने एक ट्वीट में कहा, ‘लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण किसान और गरीब तथा. कर्जदार होता जा रहा है. उसके बच्चों का जीवन अंधकारमय और स्वयं का जीवन नरकमय बन चुका है.’ संगठन ने कहा, ‘आज फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं. ऐसे में किसानों को लाभकारी मूल्य न मिलना उनके साथ अन्याय है.’ संगठन ने कहा, ‘कृषि उत्पादों का मूल्य नियंत्रण सदा ही रहा है. इस कारण स्वतंत्र बाजार व्यवस्था विकसित नहीं हो सकी. कृषि आदान महंगे होते जा रहे हैं, परंतु न्यूनतम समर्थन मूल्य बहुत पीछे है.’ बीकेएस द्वारा जारी एक नोट में कहा गया, ‘यदि समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो राज्य और केंद्र सरकारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.’
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