मुस्लिमों के लिए कहर था चंगेज, चंगेज खान ने मुस्लिम साम्राज्य को लगभग नष्ट ही कर दिया था। वह एक मंगोल शासक था। वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था। हलाकू खान भी बौद्ध था। चंगेज अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए कुख्यात रहा।उसके हमलों में तकरीबन 4 करोड़ लोग मारे गए। उसने अपने विजय अभियान के बाद धरती की 22 फीसदी जमीन तक अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया था।चंगेज खान का जन्म 1162 के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। उसके पिता का नाम येसूजेई था, जो कियात कबीले का मुखिया था। चंगेज खान की दाईं हथेली पर पैदाइशी खूनी धब्बा था। उसके 3 सगे भाई व 1 सगी बहन थी और 2 सौतेले भाई भी थे। जब वह काफी छोटा था तो पिता का साया सिर से उठा गया था। महज 12 वर्ष की आयु में चंगेज की शादी बोरते नाम की युवती के साथ कर दी गई थी जिसका बाद में अपहरण हो गया था। उसको बंधक बनाकर रेप किया जाता।अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए चंगेज को लड़ाइयां लड़नी पड़ी थीं। पत्नी के अपहरण से क्राेधित चंगेज ने उस कबिले का समूल नाश कर दिया। दो माह के बच्चों को भी कत्ल कर दिया।्रऔर फिर शुरू हुआ उसके द्वारा सभी कबीलों के अपने अधीन करने का अभियान। इसके बाद मंगोलिया से लेकर यूरोप तथा एशिया के कई हिस्सों पर उसने आक्रमण किया तथा वहां अपना साम्राज्य स्थापित किया।चंगेज खान ने मंगोल कबीलों को एकजुट किया और एक बड़े इलाके पर शासन किया। उसके राज्य में आज का कोरिया, चीन, रूस, पूर्वी यूरोप, भारत के कुछ हिस्से और दक्षिण-पूर्व एशिया आते थे। भारत सहित संपूर्ण रशिया, एशिया और अरब देश चंगेज खान के नाम से ही कांपते थे। चंगेज खान ने अपना अभियान चलाकर ईरान, गजनी सहित पश्चिम भारत के काबुल, कंधार, पेशावर सहित कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया था। इस समय चंगेज खान ने सिन्धु नदी को पार कर उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस लौटने की सोची लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया। इस तरह उत्तर भारत एक संभावित लूटपाट और वीभत्स उत्पात से बच गया। इस क्रूर मंगोल योद्धा ने अपने हमलों में इस कदर लूटपाट और खून-खराबा किया कि एशिया में चीन, अफगानिस्तान सहित उज्बेकिस्तान, तिब्बत और बर्मा आदि देशों की बहुत बड़ी आबादी का सफाया ही हो गया था। कहते हैं कि मुसलमानों के लिए तो चंगेज खान और हलाकू खान अल्लाह का कहर था। कहा जाता है कि उसके पास इतना पैसा और जमीन थी कि वह अपने जीवनकाल में भी न तो इसका उपयोग कर पाया और न ही कभी हिसाब-किताब लगा सका।रूस में वोल्गा नदी के किनारे पुरावेत्ताओं ने 750 साल पुराने एक शहर के अवशेषों को खोज निकाला है। इस शहर को चंगेज खान के वारिसों ने बसाया था। इन अवशेषों में 2 ईसाई गिरजाघर भी शामिल हैं जिनमें से 1 में पत्थर और मिट्टी पर बेहतरीन शिल्प व नक्काशी को उकेरा गया है। ‘उकेक’ नाम के इस शहर को 1227 में चंगेज खान की मौत के कुछ दशकों बाद ही बसाया गया था।