अब राहुल का ऐजेंडा RSS व भाजपा पर भारी, राहुल गांधी को पार्टटाइम पालिटिशियन कहकर उपहास उड़ाने वाली भाजपा और राष्ट्रीय सेवक संघ के लिए भारत जोड़ों यात्रा का डेमेज कंट्रोल करना भारी पड़ रहा है। शुरूआत में भारत जोड़ों यात्रा को हल्के में लेने वाली भाजपा और संघी अब भाजपा राहुल गांधी की इस यात्रा से होने वाले डेमेज के कंट्रोल के लिए दिन रात एक किए हैं। नौबत यहां तक आ गयी है कि राहुल गांधी को अपनी राजनीतिक पिच पर खिलाने वाली भाजपा अब राहुल गांधी की पिच पर न केवल खेलने को मजबूर है, बल्कि राहुल गांधी की राजनीतिक बालिंग पर बार-बार बीट भी हो रही है। दरअसल भारत जोड़ों यात्रा को लेकर शुरूआती लापरवाही भाजपा को भारी पड़ रही है। दरअसल इसमें कुछ कटू सत्य भी है वो यह कि खुद कांग्रेसियों को भी उम्मीद नहीं थी कि भारत जोड़ो यात्रा को लेकर राहुल रातों रात पब्लिक के बीच स्टार बन जाएंगे। जिन राज्यों में से होकर अब तक भारत जोड़ों यात्रा निकली है उसमें राहुल को लेकर पब्लिक की दीवानगी हर बात का पुख्ता प्रमाण है। केवल युवा या बच्चे ही नहीं महिलाएं और हर वर्ग के लोगों में अब तक की यात्रा में जो दीवानगी देखी गई है वो लोकसभा चुनावा 2024 के मददे नजर कम से कम पीएम नरेन्द्र मोदी एक बार फिर मोदी सरकार कैंपेन के लिए खतरे की घंटी मानी जा रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा अब महाराष्ट्र में एंट्री के मुहाने पर है, लेकिन अब तक जिन राज्यों से यह यात्रा होकर गुजरी है, उसमें लोकसभा चुनाव के मददे नजर राजनीतिक विश्लेषक भाजपा के लिए बड़ा डेमेज मानकर चल रहे हैं। इसके पीछे उनके ठोस तर्क भी हैं। वहीं दूसरी ओर आरएसएस और भाजपा के लिए इन डेमेज की भरपाई व इसको कंट्रोल करना अभी मुमकिन नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के प्रवक्ता केवल बयान भर से भरपाई का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका अभी तो कोइ असर नजर नहीं आ रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भाजपा व पीएम को सबसे बड़ा पालटिकल नुकसान राहुल गांधी ने मोरवी के पुल हादसे को लेकर पहुंचाया है। दरअसल हादसे में 139 लोगाें की मौत की खबर आने के बाद भी पीएम मोदी का गुजरात में लगातार चुनावी सभाओं का करना ही राहुल ने भाजपा पर हमले का धारदार ह्रथियार बना लिया है। हालांकि इसकी काट में गोदी मीडिया के तमाम चिंटू एंकरों की फौज लगी है, लेकिन उनकी तमाम प्रयास भी बजाए डेमेज कंट्रोल के उल्टा डेमेज ही कर रहे हैं।