मेरठ में लगने वाले जाम की समस्या की गूंज लखनऊ तक, चार्ज संभालते ही एडीजी का जाम की समस्या पर मंथन
मेरठ। नवागत एडीजी जोन भानु भास्कर ने चार्ज संभालते ही सबसे पहला काम मेरठ को जाम की समस्या से निजात दिलाने का शुरू किया है। माना जा रहा है कि एडीजी से मिलने गए डीआईजी कलानिधि नैथानी व एसएसपी डा विपिन ताडा से भी एडीजी ने जाम की समस्या को लेकर तफसील से बातचीत की हैं, हालांकि इसका ब्योरा नहीं मिला है। लेकिन इस संवाददाता से बातचीत में एडीजी भास्कर ने कहा कि वह इस शहर को जाम से मुक्ति के लिए कोई कोर कसर नहीं रख छोडे़गे। जाम को मेरठ की प्रमुख समस्याओ में एक बताया जाता है, वह इस पर पूरी शिद्दत से काम कराएंगे। शहर के लोगों से जाम से मुक्त कराना उनका पहला काम रहेगा। साथ ही इस समस्या को लेकर किए जाने वाले प्रयासों की भी वह खुद ही निगरानी भी करेंगे। जाम को उन्होंने किसी भी महानगर के लोगाें के बेहद विकट समस्या करार दिया साथ ही यह भी कि कई बार जाम की वजह से लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ी भी हैं। इसके अलावा एडीजी ने कहा कि शासन की मंशाानुसार जो भी कार्य होंगे वह किए जाएंगे। पूरे जोन में अपराधियों के खिलाफ पुलिस संगठित होकर अभियान की शुरूआत करेगी। जोन के टॉप फाइव, रेंज के टॉफ फाइव व जिले के टाॅप फाइव अपराधियों की धरपकड़ के लिए खास अभियान चलाया जाएगा। अपराधियों की धरपकड़ के लिए की पुलिस एक संगठित रूप में काम करेगी।
मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की
शहर के जाम की समस्या की यदि बात की जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि शहर को जाम की मुसीबत में झोंकने वाले भी संगठित गिरोह की तर्ज पर काम कर रहे हैं। किसी भी संगठित गिराेह की तर्ज पर शहर को जाम की मुसीबत में झाेंकने वालों का भी गिरोह संगठित रूप से काम कर रहा है। इस गिरोह में ठेकेदार, नेता, पुलिस और कुछ सत्ताधारी दल व बाजारों के व्यापारी संगठनों के लोग तक शामिल हैं, जिनका काम कमाई के लिए शहर में अवैध रूप से सड़कों पर वाहन पार्किंग के अवैध ठेकों संचालन कराना, बाजारों में सड़को की नीलामी कराना, बाजारों में खड़े होने वाले ठेले वालों से उगाही करना शहर में सरकारी जगहो पर अवैध कब्जे तक कराना शामिल हैं। प्रमुख बाजारों की बात करें तो वहां जाम की वजह दुकानों का सामान सड़कों पर खा जाना है। जिसकी वजह से कई बार पैदल निकला तक दुश्वार हो जाता है। इसके अलावा ईरिक्शा की बेतहाशा बढ़ती तादात जिनमें बड़ी संख्या ऐसे ईरिक्शाओं की है जो अवैध हैं, जिनका आरटीओ में पंजीकरण तक नहीं है। शहर में करीब साठ हजार कुल ईरिक्शाओं के संचालन का अनुमान है, जबकि पंजीकृत की संख्या लगभग बीस हजार आंकी जा रही है। ईरिक्शाओं को जाम की मुसीबत की वजह मानते हुए बेगमपुल व हापुड स्टैंड चौराहों को ईरिक्शा फ्री जोन घोषित किया गया, लेकिन इसके साइड इफैक्ट इन दोनों चौराहों के आसपास के इलाकों में देखने को मिले। हालांकि ईरिक्शाओं की समस्याओं को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज कुमार ने हाईकोर्ट में रिट दायर की हुई है। जिसके सापेक्ष्य कोर्ट में यूपी सरकारी व मेरठ के अफसरों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। इसकी अगली सुनवाई शीघ्र होगी।
अवैध कांप्लेक्स व निर्माण सबसे ज्यादा जिम्मेदार
शहर में जाम की समस्या के लिए अवैध कांप्लैक्स और हाईवे पर जाम के लिए अवैध निर्माण सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। शहर के तमाम इलाकों में प्राधिकरण के कुछ घूंसखोर अफसरों की वजह से कंकरीट का जंगल बना गया है। शहर के सभी प्रमुख बाजारों में एक से डेढ मीटर की गलियों में पुराने मकानों को सौ सौ दुकानों के कांप्लैक्स में तब्दील कर दिया गया है। कुछ जगह तो ऐसी है जहां ईरिक्शा भी मुश्किल से निकल सकेगी। जो लोग कांप्लैक्स में दुकानें खरीद रहे हैं वो सभी गाड़ियों वाले हैं, जब बगैर पार्किंग के कांप्लैक्स बनाए जाएंगे तो उनमें दुकानें लेने वालों की गाड़ियां फिर सड़कों पर खड़ी होंगी। जब सड़का यूज कार पार्किग के लिए किया जाएगा तो शहर में जाम लगना तो स्वभािवक है। कमोवेश यही बुरी दशा हाइवे यानि बाईपास की भी है। पूरा बाईपास अवैध होटल व ढावों से गुलजार है। बाईपास के खड़ौली इलाके में लगाने वाले जाम से तो पूरा एनएच-58 प्रभावित होता है। यहां जाम की वजह खड़ौली की अवैध मुस्लिम मीट पार्केट व दा वनन फरर सरीखे अवैध होटल हैं। वैसे तो पूरा हाइवे वन फेदद सरीखे अवैध होटलों से गुलजार है।
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