FIR के बाद अब हकीकत बेपर्दा

kabir Sharma
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केवल चार सदर जैन समाज नहीं
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मेरठ। श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर सदर पर अवैध रूप से काविज हुए मामले चुनाव के नाम पर डिप्टी रजिस्ट्रार को फर्जी कागजात देने व मंदिर जी में भारी घपले घोटाले के मामले में पुलिस की जांच में दोषी पाए जाने के बाद अभियुक्त बनाए गए रंजीत जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन व अनिल बंटी खेमे में बुरी तरह से हडकंप मचा हुआ है। वहां उथल पुथल मची हुई है। चारों अभियुक्त अब अलग थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। डा. संजय जैन की गारंटी मिलने के बाद अभियुक्त खेमे का जिन्हें अपना बताते बता रहा था उन सभी ने अब किनारा कर लिया है। सभी लोगाें ने डा. संजय जैन की अपील को जिसमें कहा गया है कि चार के अलावा कोई नहीं, को सभी ने गारंटी मान लिया है। लोगों का कहना है कि डा. संजय जैन जब गारंटी दे रहे हैं उसके बाद उन्हें किसी बात की कोई चिंता नहीं। अब वो अभियुक्तों के झांसे में नहीं आने वाले। दरअसल जिस तरह से इस पूरे मामले को लेकर मिथ्या बातें कर सदर जैन समाज को बरगलाने का प्रयास किया गया था उसको लेकर अभियुक्तों की हकीकत सामने आने और डा. संजय जैन की गांरटी के बाद अभियुक्तों का खेमा अलग थलग पड़ गया है। इस बीच सबसे चौंकाने वाली खबर भंडारी सनमति को लेकर मिल रही है। भंडारी सनमति पर किसी भी वक्त शिकंजा तय माना जा रहा है। हालांकि अधिकृत रूप से कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन यह एक बड़ी खबर निकलकर आयी है।

जिस मंदिर पर अवैध कब्जे के लिए अभियुक्त बनाए जाने के बाद चारों खुद को मंदिर का पदाधिकारी मीडिया के सामने साबित कर रहे थे, उसी भी पोल डा. संजय जैन ने खोल दी है। उन्होंने जानकारी दी कि साल 2014 के बाद से अब तक मंदिर जी के जब चुनाव ही हार के डर से नहीं कराए गए तो फिर कहां से तो कमेटी आ गयी और कहां से ये खुद को पदाधिकारी साबित करने पर तुले हुए हैं। आला अधिकारियों के निर्देश पर इस मामले में तमाम ठोस साक्ष्य के आधार पर थाना सदर बाजार पुलिस ने रंजीत जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन व अनिल बंटी पर मुकदमा लिखा है। वहीं दूसरी ओर कानून विशेषज्ञों की मानें तो मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस किसी भी वक्त किसी भी अभियुक्त को अरेस्ट कर सकती है। रही पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाने की बात तो उसके लिए अदालत पड़ी हैं। जेल जाने के बाद अपने पैरोकारों की मार्फत अदालत मे अपना पक्ष रखें लेकिन जेल जाने से बचना ना मुमकिन है। क्योंकि जिन धाराओं में चारों के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है उसमें किसी भी स्तर से जमानत का जोखिम संभव नहीं है।

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