वेस्ट में रोहिंग्या को लेकर अलर्ट

kabir Sharma
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मेरठ। दिल्ली में गृहमंत्रालय के निर्देश पर पुलिस की कार्रवाई की आशंका के चलते वहां रह रहे बंगलादेशी रोहिंग्या का अगला ठिकाने मेरठ समेत दिल्ली एनसीआर के बागपत, हापुड़, शामली, मुजफ्फरनगर व सहारनपुर सरीखे मुस्लिम बहुल्य माने जाने वाले इलाके हो सकते हैं। हालांकि इनको लेकर अधिकृत इनपुट से आला अधिकारी इंकार कर रहे हैं, एनसीआर में रोहिंग्या की दस्त को लेकर ऐजेंसिया अलर्ट जरूर हैं। दरअसल पिछले माह मार्च में दो बंगलादेशी रोहिंग्या को लेकर उत्तराखंड के रूड़की से भेजे गए एक इनपुट जिसमें कहा गया था कि वेस्ट यूपी से सटे उत्तराखंड के रूड़की के बुचढ़ी ढढेरा रेलवे फाटब बस्ती के समीप दो बंगलादेशी रोहिंग्या मोहम्मद तारिस और शाबीर अहमद को पुलिस व दूसरी ऐजेन्सियों से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। सूत्रों ने जानकारी दी है कि उनके पास से संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए शरणार्थी कार्ड भी मिले थे।

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वेस्ट यूपी से सटे उत्तराखंड के रूड़की के बुचढ़ी ढढेरा रेलवे फाटब बस्ती के समीप दो बंगलादेशी रोहिंग्या मोहम्मद तारिस और शाबीर अहमद को पुलिस व दूसरी ऐजेन्सियों से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। सूत्रों ने जानकारी दी है कि उनके पास से संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए शरणार्थी कार्ड भी मिले थे। उन्होंने अनेक मुस्लिम बस्तियों से चंदा जुटाया था और उत्तराखंड में पुलिस की पूछताछ के बाद वो वापस 19 मार्च को यूपी के अमरोहा जाने की बात कहकर लौट गए थे।जुटाते हैं चंदा मुसलमानों सेमेरठ समेत ये नए ठिकानेइनपुट से इंकारदिल्ली के रोहिग्याओं को लेकर केंद्र की ऐजेन्सियों के किसी इनपुट को लेकर एसएसपी डा. विपिन ताडा ने अनभिज्ञता जाहिर की है। हालांकि उन्होंने चौकसी बरते जाने की बात जरूर कही। इसके अलावा समय-समय पर संदिग्ध बंगलादेशियों को लेकर भी मेरठ में सुरक्षा ऐजेन्सियों की जांच की भी जानकारी दी।हापुड़ हो सकता है मुफीदसंदिग्ध बंगलादेशियों के कई ठिकानेजांच का विषयकरीब चार साल पहले यह हुआ था

जुटाते हैं चंदा मुसलमानों से

उन्होंने अनेक मुस्लिम बस्तियों से चंदा जुटाया था और उत्तराखंड में पुलिस की पूछताछ के बाद वो वापस 19 मार्च को यूपी के अमरोहा जाने की बात कहकर लौट गए थे, का इनपुट मिलने के बाद ही गृहमंत्रालय के अदेश पर दिल्ली में रोहिंग्या की धरपकड़ व उन्हें खदेड़ने के अभियान की आहट के बाद दिल्ली के रोहिंग्याओं के दिल्ली से सटे मेरठ समेत दूसरे इलाकों में ठिकाना बनाने की आशंका जाहिर की जा रही है।

मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, हापुड़ व सहारनपु सरीखे जिले इनके नए ठिकाने हो सकते हैं। दरअसल इस बात की आशंका को इसलिए भी मजबूती मिल रही है क्योंकि पिछले महिने रुड़की में दो रोहिंग्या रोहिंग्या मोहम्मद तारिस और शाबीर अहमद जो दोनों खुद को बंगलादेशी बता रहे थे से पूछताछ की जा चुकी है। इससे इतना तो साफ हो गया कि जो आशंकाए रोहिंग्याओं को लेकर जतायी जा रही हैं वो अकारण नहीं है। ऐसी आशंकाओं के पीछे ठोस वजह है।

इनपुट से इंकार

दिल्ली के रोहिग्याओं को लेकर केंद्र की ऐजेन्सियों के किसी इनपुट को लेकर एसएसपी डा. विपिन ताडा ने अनभिज्ञता जाहिर की है। हालांकि उन्होंने चौकसी बरते जाने की बात जरूर कही। इसके अलावा समय-समय पर संदिग्ध बंगलादेशियों को लेकर भी मेरठ में सुरक्षा ऐजेन्सियों की जांच की भी जानकारी दी।

रोहिंग्या बंगलादेशियाें को लेकर एडीजी डीके ठाकुर ने फिलहाल गृहमंत्रालय के किसी इनपुट से इंकार किया है, लेकिन उन्होंने प्रीकॉशन्स चौकसी की बात कही और आशंका भी जतायी कि यदि ऐसा कुछ होता है तो वह इलाका हापुड़ हो सकता है क्योंकि भौगौलिक दृष्टि से हापुड़ इनके लिए मुफीद हो सकता है। क्योंकि वहां की भौगौलिक स्थिति कहीं भी निकलने के लिए सबसे कारगर है।

मेरठ की बात करें तो यहां शहर के कई इलाके संदिग्ध बंगलादेशियों के ठिकानों के तौर पर बदनाम रहे हैं। इनमें बड़ा नाम हापुड़ रोड नगर निगम के पुराने कमेले से सटे यमुना नगर बस्ती का पूरा इलाका है। जहां जब तक कमेला संचालित रहा तब तक हजारों संदिग्ध बंगलादेशी बताए जा रहे परिवारों का वहां ठिकाना माना जाता था। इसके अलावा कैंट के कई इलाकों जिनमें माल रोड से सटी बूचरी रोड, वीर बाला पथ और योगेन्द्र हाट को भी इनका ठिकाना माना जाता है। हालांकि इनमें से यदि कैंट के ठिकानों की बात की जाए तो वहां इनमें से बड़ी संख्या में अपने आधार कार्ड व राशन कार्ड बनावा लिए हैं।

यदि ये लोग वाकई बंगलादेशी हैं या संदिग्ध बंगलादेशी है और इनके आधार कार्ड या पैन कार्ड तक बना दिए गए हैं तो यह वाकई गंभीर व जांच का विषय है। कैंट के इलाकों में संदिग्ध बंगलादेशियों की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। कुछ साल पहले एक फौजी अफसर ने काली पलटन बाबा औघड़नाथ मंदिर से इन्हें खदेड़ने का अभियान चलाया था। इसी तर्ज पर कई साल पहले बुचरी रोड पर खाली पड़ी रक्षा मंत्रालय की जगह पर जहां इन्होंने आज भी ठिकाना बनाया हुआ है वहां से इन्हें खदेड़ने के लिए सेना ने अभियान चलाया था। वो जगह खाली करा ली गयी थी, लेकिन कुछ अरसे बाद ये लोग फिर वहीं पर आ डटे।

करीब चार साले पहले जब यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल व मेरठ में एडीजी प्रशांत कुमार ( वर्तमान डीजीपी यूपी हुआ ) करते थे तब उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठन के साथ रोहिंग्या की घुसपैठ ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी थी।उसके बाद देखते हुए एटीएस ने उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ आपरेशन तेज कर दिया। तब एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रोहिंग्या ने मेरठ, अलीगढ़ व बुलंदशहर में समेत यूपी वेस्ट के जिलों में बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया था। है। यहां सैकड़ों की संख्या में शरणार्थियों के बीच अवैध रूप से रहने के इनपुट लगातार मिलते रहे। तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल ने सभी जिलों में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या व बाग्लादेशियों का ब्यौरा जुटाकर आवश्यक कार्रवाई के आदेश दिए थे। तब जून में सुरक्षा ऐजेन्सियां ने उत्तर प्रदेश से संदिग्ध 13 रोहिंग्या मसलमानों को गिरफ्तारी की थी।

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