सभी आगे आए टीबी के खात्मे को

kabir Sharma
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मेरठ। विश्व टीबी दिवस के मौके पर जारी किए गए इस वक्तव्य में डा. वीरोत्तम तोमर ने बताया कि 24 मार्च सन 1882 को राबर्ट कॉक्स ने टीबी रोग के मुख्य कारक एक बैक्टीरिया की खोज की थी, जिसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लर बैसीलाइ कहते हैं। उन्हीं की याद में यह दिवस 1982 से विश्व टी बी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है विश्व भर में टी बी रोग के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा इस दिन इसके पूर्ण रूप निदान का प्रण लिया जाता है । विश्व के 25% से ज्यादा रोगी भारत में पाए जाते हैं। एक तरह से भारत को टीबी रोग की राजधानी कह सकते हैं, इस बार विश्व स्वास्थ्य संस्था ने नारा दिया है हां, हम सब मिलकर टीबी को हरा सकते- प्रतिबद्धता ,निवेश तथा वितरण


इसमे निहित आयामों से हम विजय प्राप्त कर सकते हैं। टीबी के होने के मुख्य कारण पोषणता की कमी, घर में धूप व हवा का आदान – प्रदान पूर्ण रूप से न होना तथा एक रोगी से दूसरे रोगी को खांसने के द्वारा टी बी के कीटाणुओं का प्रवेश कराना मुख्य है । हालांकि भारत ने 2025 तक टीबी के अंत की घोषणा की थी लेकिन यह है। नारा अभी सपना ही बना हुआ है। क्योंकि न केवल टी बी के रोगियों की बढ़ी है अपितु मल्टी ड्रग रेस्टेंट टी बी तथा टोटल ड्रग रजिस्टेंस टी बी के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। टीबी के मुख्य लक्षणों को जानना ज़रूरी है, जिनमें है 15 दिन से ज्यादा मरीज को खांसी, शाम के समय बुखार का रहना, रात में पसीने आना , भूख कम लगन, वजन कम होना, छाती में दर्द होना , बलगम मे खून आना इत्यादि, इन लक्षणों के आने पर हमें चिकित्सक से परामर्श लेना बहुत जरूरी हो जाता है । इसके इलाज टीबी की विशेष दवाइयाँ हैं जिनको लगातार 6 से 9 महीने तक किया जाता है। यदि व्यक्ति बीच में इलाज छोड़ देता है तब वह पूर्ण रूप से ठीक न होकर बिगडी टी बी के मरीज के रूप में परिवर्तित हो जाता है , जोकि न केवल उस व्यक्ति के लिए बल्कि उसके आस-पास रहने वाले परिवारजनों के घातक हो सकती है। टीबी में मुख्य रूप से पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है तथा समय समय पर बलगम की जांच व एक्स रे द्वारा इसको देखा जाता है कि बीमारी कण्ट्रोल में है कि नहीं है । डॉ॰ वीरोत्म तोमर ने सभी सामाजिक संस्थाओं से भी आग्रह किया कि वह भारत मे टीबी के पूर्ण निदान के लिए आगे आये।

कत्थक की बारिकयों से होंगे रूबरू

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