महंगी के साथ बिजली का एक और झटका भी,
मेरठ/बिजली उपभोक्ता महंगी बिजली के अलावा पावर कारपोरेशन को होने वाले नुकसान की भरपाई के नाम पर काटी जाने वाले जब की दोहरी मार को भी तैयार रहे। यह फरमान कभी भी लागू किया जा सकता है। यूपी में बिजली का महंगा होना तय है। इसी के चलते स्मार्ट मीटरों को लगाने पर जोर दिया जा रहा है। महंगी बिजली के अलावा भी एक ओर मार के लिए उपभोक्ता तैयारी कर लें। सूबे की सरकार चाहती है कि बिजली चोरी, लाइन लॉस, घपले व घोटालों से जो भी नुकसान हो उसकी भरपाई उपभोक्ता की जेब से की जाए। इसके लिए सरकार ने एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि यदि सब कुछ ठीक रहा और ज्यादा हो-हल्ला ना मचा तो इसको लागू कर दिया जाएगा। हालांकि इसके संबंध में सरकार की ओर से नियामक आयोग की मार्फत भेजे गए प्रस्ताव के मजमून की मानें तो बिजली चोरी, घपले, वाणिज्यिक नुकसान समेत होने वाले कई घाटों का भुगतान अब प्रदेश के उपभोक्ता करेंगे। इसका सीधा मतलब है कि उपभोक्ताओं को पहले के मुताबिक महंगी बिजली दर चुकानी होगी। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया है। परिषद के मुताबिक, नए मानकों की वजह से निजी कंपनियों को फायदा और बिजली उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा।
आपत्ति और सुझाव मांगने में जल्दीबाजी
अभी सभी को यह प्रस्ताव की ना तो जानकारी है और ना ही उन्हें इसका ऐजेंडा देखने या पढने को मिला है और सरकार से सुझाव व आपत्ति के लिए 15 फरवरी मुकर्रर कर दी है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इस मामले पर 56 पेज का ड्राफ्ट जारी किया, जो पांच साल के लिए तैयार किए गए मल्टी ईयर वितरण टैरिफ रेगुलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद है। इस ड्राफ्ट के तहत नए रेगुलेशन पर 15 फरवरी तक आपत्ति और सुझाव मंगाए गए हैं। 19 फरवरी को इन पर सुनवाई होगी और फिर इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा।बिजली चोरी का खामियाजा उपभोक्ताओं पर
विभागीय सूत्रों ने बताया कि उपभोक्ता परिषद सरकार के इस प्रस्ताव से इत्तेफाक नहीं रखती। उपभोक्ता परिषद का मानना है कि अगर नया रेगुलेशन जारी हो गया तो बिजली दरों में भारी बढ़ोत्तरी होगी। इससे सीधा फायदा निजी बिजली कंपनियों को होगा, जबकि नुकसान का भार उपभोक्ता उठाएंगे।परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से यह अपील की है कि उपभोक्ताओं के हित के लिए पुराने रेगुलेशन को ही रखा जाए। पूर्व में लागू कानून के अनुसार, यह व्यवस्था थी कि बिजली चोरी सहित अन्य प्रकरणों का खामियाजा उपभोक्ताओं को नहीं उठाना पड़ेगा, क्योंकि इसके लिए विजिलेंस विंग, बिजली थाना और अन्य व्यवस्थाएं मौजूद थीं।