घटना से एशिया की सबसे बड़ी ज्वैलरी मंड़ी शहर सराफा में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस भी इस मामले को लेकर जुट गयी
मेरठ। एक करोड़ का सोना लेकर कारीगर फरार हो गया है। इस घटना से एशिया की सबसे बड़ी ज्वैलरी मंड़ी शहर सराफा में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस भी इस मामले को लेकर जुट गयी है। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि मामले में पुलिस की कई टीमें लगायी गयी हैं। इस बीच जानकारी मिली है कि बीते पांच साल में करीब दस करोड़ का सोना लेकर बंगाली व मराठी कारीगर सोने की इस मंड़ी से अब तक फरार हो चुके हैं। शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के पूर्वा शेखलाल में रहने वाले ज्वैलरी कारोबारी दिलीप ने सोना लेकर भागने वाले बंगाली कारीगरों के बारे में जो साले बहनाई हैं कि सूचना मेरठ शहर के थाना देहलीगेट पुलिस को दी है। मेरठ में सोना कारोबारियों की सबसे बड़ी संस्था बुलियन टेÑडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद ने इस घटना को बेहद गंभीर बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार के मामलों में जितनी शिद्दत से काम किया जाना चाहिए उतनी शिद्दत से नहीं किया जाता। वहीं कारोबारी दिलीप सिंह ने बताया कि जो कारीगर सोना लेकर भागे हैं वो अरसे से बाजार में काम कर रहे थे।
विजय आनंद अग्रवाल ने बताया कि आज की सोना लेकर भागने की घटना लगभग 50 लाख से ऊपर की प्रथम दृष्टि समझ में आ रही है। यह आंकड़ा इससे भी अधिक का हो सकता है। एक कारीगर दिन भर में 20 ग्राम सोने से काम करता है, इसका सीधा-सीधा मतलब है कि 500 ग्राम सोना अगर हमारे मार्केट से कोई लेकर भाग जाए तो 25 कारीगरों के हाथ से काम खत्म हो गया। साथ ही साथ जो कारीगर भागेगा वह अकेला नहीं जाएगा, उसके साथ उसके अनेक कारीगर जो संख्या में 5 या 10 या उससे अधिक हो सकते हैं। वह भी हमारे व्यापार से कम हो जाएंगे। आज के इस प्रकरण में पोबीर मंडल पिछले 10 वर्षों से यहां पर काम करता है। उसका पूरा विश्वास बाजार के उसके साथ काम करने वाले व्यापारियों का पूरा है। उसने अपना मकान कुछ ही समय पहले बैंक लोन लेकर खरीदा था। सुनने में आया है वह कार भी मेंटेन करता है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अब स्थानीय प्रशासन को भी हमारे मददगार के रूप में आना पड़ेगा। इन कारीगरों की काउंसलिंग करानी पड़ेगी। उनको लेकर भागना क्यों होता है उनके कारणों का भी पता करना पड़ेगा। ताकि हमारा व्यापार उजड़ने से बच सके। अगर हम गलती से पूरे पैसे देकर भी कोई सोने का सामान किसी महिला से या किसी अपनी जानकार से खरीद लेते हैं और ना चाहते हुए वह सामान चोरी का अथवा अन्य किसी प्रकार से आपराधिक हो तो हमारे सराफ की सामाजिक प्रतिष्ठा 2 मिनट में धूमिल हो जाती है। अभी पिछले दिनों पूरे पैसे देकर जानकार से खरीदा गया सोना चोरी का निकला और पुलिस ने हमारे इस सराफ को उन्हें चोरों की श्रेणी में मुकदमा दर्ज कर, अपराधी बना दिया। उसकी वर्षों की बनाई गई गुडविल समाप्त हो गई। लेकिन हमारा इतना अधिक सोना लेकर कारीगर पश्चिम बंगाल भाग जाते हैं। पश्चिम बंगाल में जाने वाली पुलिस टीम अपने आप को असहाय महसूस करती है या अपराधियों को पकड़ नहीं पाती है या वहां की पुलिस उनकी मदद नहीं करती है या अन्य कोई भी कारण हो सकता है, लेकिन हमारे व्यापारी का सोना नहीं मिलता। उसके विपरीत हमारे सर्राफा व्यापारी जो पूरा पैसा देकर सोना खरीदते हैं उसके बाद भी अपराधी की भूमिका में आ जाते हैं और उनके द्वारा खरीदा गया सोना पूरा का पूरा कैस प्रॉपर्टी बनता है या वापस देना पड़ता है। उनका द्वारा दिए गए पैसे के संबंध में जो भी पुलिस आएगी वह केवल एक रटा रटाया वाक्य बताती है कि ” इस बेचारे अपराधी ने वह पैसा तो खर्च कर लिया ” चाहे वह एक दिन पहले ही लेकर क्यों न गया हो। हमारे सराफा व्यापार को बचाने के लिए अब ठोस योजनाएं बनी चाहिए। लेकिन योजना बनाते समय यह ध्यान रखा जाए कि, यह कारीगर यही अपनी स्वर्णनगरी में स्थापित रहे। यहां से किसी दबाव के चलते चले न जाए। अगर यह लोग चले गए तो, भी हमारा व्यापार जीवित नहीं रहने का।
इन पिछले 5 वर्षों के अंदर हमारा लगभग 20 करोड रुपए का सोना लेकर कारीगर भाग गए हैं या लूट लिया गया है। हमारे व्यवसाय को लगातार चोट पड़ रही है। हम 500 करोड रुपए की वार्षिक जीएसटी सरकार को भुगतान करते हैं इसका मतलब है कि हम 15000 करोड रुपए का वार्षिक टर्नओवर करते हैं।और भी अनेकों प्रकार के टैक्स देते हैं। हमारे व्यापार की तरफ सरकार को गंभीरता पूर्वक सहयोग की भावना से कदम उठाने पड़ेंगे।
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