आसमान छूएंगे जमीन के भाव, मेरठ के परतापुर व मोदीपुरम इलाके में जमीन के भाव आसमान छूने जा रहे हैं। जिसके चलते भूमाफियाओं व अन्य रियल एस्टेट कारोबारियों की गिद्ध दृष्टि इस इलाके की जमीन पर पड़ गयी है। जमीन के भाव बढ़ने की आहट से किसान भी बेखबर नहीं है। किसानों ने अब अपनी जमीन के सौंदों पर एकाएक रोक लगा दी है। दरअसल यह सब हो रहा है रैपिड रेल प्रोजेक्ट की वजह से। रैपिड रेल प्रोजेक्ट के चलते मोदीपुरम व दिल्ली रोड पर बहार की तैयारी है। रैपिड कॉरिडोर में परतापुर और मोदीपुरम में स्पेशल डवलपमेंट एरिया (एसडीए) और स्टेशनों पर इंफ्लुएंस जोन (आईजेड) विकसित होंगे। इनमें व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाया जाएगा। इसके तहत होटल, गाड़ियों के शोरूम, रेस्टोरेंट, कामर्शियल कांप्लेक्स बनाए जाएंगे। यहां पर भू-उपयोग भी व्यवसायिक और मिश्रित में परिवर्तित किया जाएगा। वहीं अब एमडीए की बजाय एनसीआरटीसी ही रैपिड कॉरिडोर का जोनल प्लान तैयार करेगा। एमडीए रैपडि रेल के जरिए वित्तीय निवेश के लिए नई गतिविधियां शुरू करने के साथ ही आमदनी भी बढ़ाएगा। रैपिड के दोनों छोर परतापुर तथा मोदीपुरम एसडीए के तहत विकास के केंद्र होंगे। एमडीए की ओर से वैल्यू कॉस्ट कैप्चर (वीसीसी) प्लानिंग के तहत रैपिड के दोनों ओर से 500-500 मीटर क्षेत्र में होटल, रेस्टोरेंट, गाड़ियों के शोरूम, रेस्टोरेंट आदि लाए जाएंगे। इससे होने वाली का आरआरटीएस और एमडीए के बीच आधा-आधा बंटवारा होगा। शासन की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई है। परतापुर में एक्सप्रेसवे, रैपिड रेल, पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, फ्रेट कॉरिडोर आदि प्रोजेक्ट एक दूसरे को इंटरचेंज करेंगे। ऐसे में परतापुर में करीब 100 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना है। इसे मेरठ महायोजना में भी शामिल करने की तैयारी है। सिटी डवलपमेंट प्लान के तहत औद्योगिक क्षेत्र की ओर विकास की जहां-जहां संभावनाएं होंगी उन्हें विशेष तौर पर इंगित किया जाएगा।रैपिड कॉरिडोर के मद्देनजर भू उपयोग परिवर्तन को लेकर नीति बनेगी। ऐसे में व्यवसायिक गतिविधियों पर जोर रहेगा। टीओडी वाले क्षेत्र में मिश्रित भू उपयोग रहेगा। इसमें बराबर और ऊपर नीचे पहले से बने भवन में विस्तार किया जा सकेगा। नीचे जहां कार्यालय बनाया जा सकता है तो वहीं ऊपर रहने के लिए मकान भी बना सकेंगे। मानचित्र के लिए एमडीए के साथ ही एनसीआरटीसी से भी इसे स्वीकृत कराना होगा।