अवैध कालोनी- हरियाली का कत्ल, अवैध कालोनी काटने वाले कर रहे हरियाली का कत्ल, अवैध कालोनियां काटने वाले केवल सूबे की सरकार को हर माह करोड़ों के राजस्व का ही चूना नहीं लगा रहे हैं, बल्कि खेतों में अवैध कालोनियां काटकर हरियाली का भी कत्ल कर रहे हैं। सुप्रीमकोर्ट और एनजीटी सरीखी देश की बड़ी संस्थांए भले ही पर्यावरण को लेकर गंभीर हों, लेकिन अवैध कालोनियों की काली कमाई करने पर उतारू भूमाफियाओं को इससे कोई सरोकार नजर नहीं आता। वहीं दूसरी ओर मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आते हैं। बल्कि यदि हालात की बात की जाए तो प्राधिकरण के कुछ अफसरों की छत्रछाया में ही ये अवैध कालोनियां काटी व इनके लिए हरियाली का कत्ल किया जा रहा है। प्राधिकरण के मीनाक्षीपुरम से लेकर अम्हेडा तक ऐसी ही एक अवैध कालोनी काटी गयी है। अवैध कालोनी काटने वाले एक साथ कई गुनाह कर रहे हैं। सबसे बड़ा गुनाह तो उन लोगों के साथ जिनकों विकास यानि सीवर, सड़क, पानी की टंकी, स्ट्रीट लाइट आदि की शीघ्र सुविधाएं दिलाने का झांसा देकर प्लाट बेचे जाते हैं। दूसरा गुनाह प्रदेश की योगी सरकार के प्रति किया जा रहा है। यदि कायदे काूनन व सलीके के साथ कालोनी काटी जाए। मेरठ विकास प्राधिकरण से पहले नक्शा पास कराया जाए। वहां पानी की टंकी, साफ सुथरी सड़क, सीवरजे सिस्टम, स्ट्रीट लाइट, सुरक्षा आदि की सुविधा के साथ कालोनी काटी जाए तो उसके लिए बिल्डर को सूबे की सरकार को एमडीए की मार्फत अच्छी खासी रकम देनी होगी, रेवेन्यू के रूप में जो रकम सूबे की सरकार को एमडीए की मार्फत मिलनी चाहिए, उसको बचाने के लिए बिल्डर बने भूमाफिया इन दिनों बजाए मेरठ विकास प्राधिकरण से कालोनी को अप्रुव्ड कराने के अवैध कालोनियां काट रहे हैं। जैसा की मीनाक्षीपुरम से अम्हेडा तक के मार्ग पर अवैध कालोनी काट दी गयी है। यहां कई हरे भरे पेड़ों पर भी बिल्डर ने आरी चलवा दी है। अवैध कालोनी काटने वाले बिल्डर अभी तक केवल खेतों में ही अवैध कालोनिया काटते रहे हैं, लेकिन अब बाग और जंगलों में भी हरे भरे पेड़ों का कटान कर कालोनियां काटी जा रही हैं। न कोई इनको रोकने वाला है न ही किसी के कहने से ये रूकेंगे ऐसा नजर आता है। इसकी बड़ी वजह है। दरअसल अवैध कालोनी काटने वाले बिल्डर काम शुरू कराने से पहले सेटिंग गेटिंग में लगते हैं। सत्ताधारी दल के नेताओं, अधिकारियों, माफियाओं का एक पूरा गठजोड़ बनाते हैं उसके बार काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए अवैध कालोनियां काटने का खेल शुरू होता है। लेकिन इस बड़े खेल में सबसे बड़े मददगार भी इन भूमाफियाओं के एमडीए के कुछ अफसर ही बनते हैं। इनकी मर्जी के बगैर कोई भी अवैध कालाेनी तो दूर की बात है एक ईंट तक नहीं रख सकता। एमडीए के जोनल स्टाफ के लोग भले ही कुछ भी सफाई देते रहें, लेकिन हकीकत तो यह है कि सब कुछ उनकी नाक के नीचे होता है। ऐसा भी नहीं कि रातों रात अवैध कालोनी या मार्केट बना दिए जाते हों, इसमें कई माह लग जाते हैं। केवल अवैध कालोनी ही नहीं काटी जाती, बिल्डर और उसके कारिंदे मौके पर साइट पर माैजूद रहकर इन अवैध कालोनियों में प्लाट भी बेचते हैं। जहां तक कार्रवाई की बात है तो प्राधिकरण के जिन अफसरों की छत्रछाया में ये अवैध कालोनी काटी जाती हैं वो केवल फाइलों में चालन भर काटते हैं। मसलन नोटिस दिया जाता है। आमतौर पर ध्वस्तीकरण जैसी कार्रवाई से ऐसे मामलों में प्राधिकरण अधिकारी कन्नी काटते हैं।