अवैध निर्माण को बदनाम जोन डी, मेरठ विकास प्राधिकरण का जोन डी-फोर का किला रोड इलाका इन दिनों अवैध कालोनियों के लिए भले ही पूरे महानगर में बदनाम हो, लेकिन भूमाफियाओं के लिए यह इलाका सबसे सुरक्षित व मुफीद साबित हो रहा है। शायद यही कारण है जो इस इलाके में दर्जन भर से ज्यादा अवैध कालोनियां काटदी गयी हैं, किसी भी कालोनी का ध्वस्तीकरण नहीं किया गया है। अवैध कालोनियों में काली कमाई इन्वेस्ट करने वाले तमाम भूमाफिया एमडीए के जोन डी-फोर में खुलकर काम कर रहे हैं। कई अवैध कालोनियां तो इस इलाके में ऐसी भी हैं जहां अवैध निर्माण भी बड़े स्तर पर चल रहे हैं। वहां कई अवैध मकान बना लिए गए हैं, किसी भी अवैध कालोनी या निर्माण पर कार्रवाई नजर नहीं आ रही है, यह बात अलग है कि खुद की गर्दन बचाने के लिए एमडीए अफसरों ने फाइलों में कार्रवाई के नाम पर कुल लिखा पढ़ी कर ली हो। अवैध कालोनियों की यदि बात की जाए तो एमडीए का जोन डी-फोर का किला रोड एरिया अरसे से भूमाफियाओं की पहली पसंद रहा है, इसका पुख्ता प्रमाण शिव कुंज नाम की कालोनी है। खेतों को खत्म कर बनायी गयी शिव कुंज कालोनी का मेनगेट देखकर आसानी से अहसास हो जाता है कि एमडीए प्रशासन अवैध निर्माण रोकने के नाम पर किस प्रकार की डयूटी कर रहा है। यह कालोनी एक दिन में बन गयी हो ऐसा नहीं है। इसका विशालकाय गेट देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवैध कालोनी काटने वाले भूमाफिया ने पूरी तसल्ली के साथ काम किया है। किसी भी भूमाफिया के लिए यह तभी संभव है जब उसकी एमडीए के अफसरों से बढ़िया सेंटिंग हो, सिस्टम में पूरी पकड़ हो। सत्ताधारी दल के कुछ नेता और मंत्री विधायक सरीखे जेब में हो, इसके अलावा अपराधिक प्रवृत्ति के समझे जाने वाले कुछ लोग काफिले के साथ चलते हो और एमडीए के अफसर अवैध कालोनी की साइट पर पहुंच कर बजाए कार्रवाई के वहां चौकसी करते हों मसलन खुद खड़े होकर कराते हों। एमडीए के जोन डी-फोर में शिवकुंज इकलौती कालोनी नहीं है जिस पर उंगली उठायी जाए। गांव वालों ने की मानी तो किसी सतीश मावी ने यह कालोनी काटी है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मावी के अलावा इस इलाके में सुभाष उपाध्याय, पवित्र मित्रा और खुद को भाजपा का नेता बताने वाले किसी दारासिंह प्रजापति ने भी अवैध कालोनी काटी है। जहां तक दारासिंह प्रजापति की अवैध कालानी की बात है तो बकौल एमडीए के अवर अभियंता उक्त कालोनी में सभी प्रकार के निर्माण व काम पर रोक लगा दी गयी है, लेकिन जानकारों की माने तो यह रोक केवल फाइलों में ही लगी होगी, क्योंकि साइट पर तो बे-रोकटोक काम चल रहा है। इसी तरह से सुभाष उपाध्यक्ष की कालाेनी में भी लगातार काम जारी है। इस कालोनी पर भी लोहे का भारी भरकम गेट लगाने के अलावा भीतर पक्की सड़क, बिजली के खंबे और भूखंडों की बिक्री शुरू करा दी गयी है। केवल यही कालोनियां नहीं है। ऐसी करीब दर्जन भर अवैध कालोनियां किला रोड पर एमडीए के उन अफसरों के दावों की हवा निकलती प्रतीत हो रही हैं जो अवैध निर्माण व अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई का दम भरते हैं। इस बात को कहने वाले अपनी बात के पक्ष में मजबूत तर्क भी देते हैं। उनका कहना है कि पिछले दिनों मेरठ विकास प्राधिकरण ने चारों जोन में अवैध कालोनियों के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चलाने का एलान किया था। एक दिन का ध्वस्तीकरण अभियान चलाया भी गया था, लेकिन उस दौरान भी उक्त में किसी भी कालोनी में ध्वस्तीकरण का किया जाना तो दूर की बात रही, इन अवैध कालोनियों के आसपास भी एमडीए का दस्ता जाकर नहीं फटका। ऐसे में एमडीए के स्टाफ पर सवाल तो बनता है। वहीं दूसरी ओर अब स्थिति यह हो गयी है कि अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर वर्जन के पर पर अधिकारी कन्नी काट लेते हैं।