बाहर सील और भीतर अवैध निर्माण-कारनामा ए कैंट बोर्ड, अदालत के आदेश पर कैंट बोर्ड सील लगाता है, बाहर सील लगी होती है और भीतर अवैध निर्माण जारी रहता है। देश की 62 छावनियों की यदि बात की जाए तो अफसरों की ऐसी कारगुजारी केवल मेरठ कैंट बोर्ड के अफसर ही दिखा सकते हैं। माना रहा है कि कैंट बोर्ड के ऐसे ही कुछ अफसरों की कारगुजारियों की पड़ताल को पीडी डिफैंस RADESH VARAN मंगलवार को मेरठ पहुंच रहे हैं। हालांकि उनके इस दौरे को कुछ लोग नागेन्द्र नाथ प्रकरण से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन इसकी उम्मीद लगती है। पीडी के दौरे के पीछे मेरठ कैंट में आयी अवैध निर्माणों की बाढ़ और इसको लेकर की गयी ताबड़तोड़ शिकायतों से जोड़कर देखा जा रहा है। अब यदि अवैध निर्माणों की बात की जाए तो मेरठ कैंट के अफसरों की कारगुजारी की जीता जागती मिसाल आबूलेन स्थित बंगला 173 जहां सील लगाए जाने के बाद भी भव्य शोरूम बन जाते हैं। इसी तर्ज पर फ्लेवर रेस्टोरेंट मार्ग पर बैंक आफ बड़ौदा के पास जिस बंगले पर खुद सीईओ प्रसाद चव्हाण के आदेश पर सील लगायी जाती है, वहां भी बाहर सील लगी होने के बाद भी अवैध निर्माण ही नहीं होता बल्कि उसको पुराना साबित करने के लिए शटर लगाकर रंगाई पुताई भी करा दी जाती है। इसी तर्ज पर सरकुलर रोड स्थित 210-बी, 210 के अवैध निर्माण भी चींख-चींख कर कैंट के कुछ अफसरों की कारगुजारियों के सूबत दे रहे हैं।210-बी पर कार्रवाई भी कोर्ट के आदेशों पर की गयी, लेकिन कोर्ट के आदेशों का पालन कराने के बजाए कैंट बोर्ड के अफसर फोर सेल हो गए। बाहर सील और भीतर अवैध निर्माण। सैंट मेरी के पीछे रजबन से सटे बंगला 161 की भी कुछ ऐसी ही कहानी है, यहां भी कैंट अफसरों की कारगुजारी के पुख्ता सबूत देखे जा सकते हैं। कोर्ट का आदेश, कैट अफसरों द्वारा अवैध निर्माण पर सील का लगाया जाना, उसके बाद भी वहां भव्य शोरूम या अवैध निर्माणों का हो जाना ऐसा केवल मेरठ कैंट में ही संभव है। शिकायता करने वालों का कहना है कि ऐसे ही अवैध निर्माणों की जांच को पीडी डिफैंस का दौरा हो रहा है। शिकायत करने वाले भी पल-पल के घटनाक्रम पर नजर रखे हैं।