किसी भी वक्त सलाखों के पीछे, पुलिस ने डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेश पर शिकंजा कसना शुरू किया, मंदिर की कमेटी का वैध नवीनीकरण ही नहीं तो फिर उक्त को डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय किस आधार पर मंदिर के पदाधिकारी मान ले।

मेरठ। सदर दुर्गागाड़ी स्थित 1008 दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर के धन संपदा को दोनों हाथों से लूटने वालों जो वक्त वक्त पर छद्म रूप धारण करते रहे, यहां तक कि स्वयं-भू पंच बन गए, लेकिन जब थाना सदर बाजार पुलिस ने डिप्टी रजिस्ट्रार के आदेश पर शिकंजा कसना शुरू किया तो अगले ही पल पंच होने से भी पल्ला झाड़ लिया, ऐसे तमाम लोगों के सलाखों के पीछे जाने की आहट सुनाई दे रही है। दरअसल ऋभष एकाडेमी के सचिव सीए डा. संजय जैन ने इस मामले को जो शिकायत एडीजी के यहां की थी तमाम सबूतों की रोशनी में कानून ने उन सबूतों को अनिल जैन बंटी व उनके साथियों पर शिकंजे के लिए पर्याप्त माना है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस मामले में किसी भी वक्त एफआईआर दर्ज की जा सकती है। चंद घंंटे या कहें किसी भी समय सदर बाजार थाना पुलिस कसूरवारों पर एफआईआर दर्ज कर सकती है। दरअसल जो कुछ होने जा रहा है उसके पीछे डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी का वो पत्र बताया है जिसमें कहा गया है कि अनेकों बार नोटिस के बाद भी सदर दुर्गागाड़ी स्थित 1008 दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर का खुद को कर्ताधर्ता बताने वालों ने कोई वैध कागज पेश नहीं किया। वो यह नहीं बता पाए कि साल 2003/4 में इस मंदिर के चुनाव के बाद दिनेश चंद जैन आदि की कमेटी बनी थी वो तो साल 2008 तक ही वैध रहीं। इसका कार्यकाल पूरा होने के बाद ना तो नवीनीकरण कराया और चुनाव के तो सवाल कराने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता तो फिर साल 2014 में तथाकथित चुनाव दिखाकर रंजीत जैन व मृदुल जैन जिस प्रकार से काविज हुए, उसका भी वैध साक्ष्य कभी डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी के यहां दाखिल नहीं किया गया, जब मंदिर की कमेटी का वैध नवीनीकरण ही नहीं तो फिर उक्त को डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय किस आधार पर मंदिर के पदाधिकारी मान ले।
खुद को पंच घोषित कर दिया जाना-सदर जैन समाज में भी बेचैनी

इस पूरे मामले को लेकर केवल डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय से ही तमाम आपत्तियां उठाते हुए पुलिस को कार्रवाई के लिए नहीं निर्देशित किया गया है बल्कि सदर जैन समाज भी तमाम घटनाक्रम खासतौर से जिसमें खुद को पंच घोषित कर दिया जाना और जब पुलिस द्वारा पूछताछ की गई तो पंच बनने की बात को एक सिरे से खारिज कर देना खासा व्यथित है। सदर जैन समाज की इस व्यथा का एक बड़ा कारण मंदिर में अन्य जैन मंदिरों की तर्ज पर जो धार्मिक आयोजन हुआ करते थे उनमें बड़ी कमी का आयी है। इसके अलावा सदर जैन समाज की नाराजगी की बड़ी व मुनासिब वजह यात्रा व दूसरे धार्मिक आयोजनों के नाम पर समाज जो राशि देता है उसका कोई हिसाब समाज के सामने ना रखा जाना। सदर जैन समाज के लोग सवाल पूछ रहे हैं जिन्होंने पंच बनने का दावा किया था उन्होंने ही यह भी कहा था कि मृदुल जैन एक करोड़ की राशि देगा। क्या वह राशि दे दी गयी है। सदर जैन समाज की भावनाओं का मान सम्मान करते हुए ऋषभ एकाडेमी के सचिव सीए डा. संजय जैन जिन्होंने मंदिर के गुनाहकारों को सजा दिलाने का बीड़ा उठाया हुआ है, का कहना है कि गड़बड़-घोटालों-गबन के जो जाले लगे हैं वो तभी साफ हो सकते हैं जब जाले बुनने वाले इन मकड़ियों को खत्म किया जाए हमेशा के लिए बाहर कर दिया जाए, वो वक्त अब दूर नहीं जब ऐसा करने वालों के हाथों में हथकड़ियां होंगी वो सभी सलाखों के पीछे होंगे। इस सारे प्रकरण में राष्ट्र कवि सौरभ जैन सुमन को नहीं भुला जा सकता। उनकी पहले के बाद ही यह संभव हो सका कि जो अवैध काविज थे वो यह कहने को मजबूर हो गए कि एक करोड़ देंगे।
अमित मालवीय ने कई बातों से उठाया पर्दा
पिता इंस्पेक्टर बेटा बना आईपीएस