भारत ने दर्ज करायी आपत्ति

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भारत ने दर्ज करायी आपत्ति, नई दिल्ली:  यूएससीआईआरएफ की 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ती रही. राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया और लागू किया, जिसमें धर्मांतरण, अंतरधार्मिक संबंधों, हिजाब पहनने और गोहत्या को निशाना बनाने वाले कानून शामिल हैं, जो मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों (अनुसूचित जनजातियों) को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं. भारत ने इस पर आपत्ति दर्ज करा दी है. वहीं ’रिपोर्ट में कहा गया था,वार्षिक रिपोर्ट में  कहा गया है कि 2014 के बाद से भारत सरकार – भाजपा के नेतृत्व में- ऐसी राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय नीतियों की सुविधा और समर्थन करती है जो अल्पसंख्यक समूहों की धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं.’ भारत के बारे में अमेरिकी सरकार के लिए चार सिफारिशें कीं. भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने के साथ इसने अमेरिकी सरकार से चल रहे धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनों की निंदा करने और भारत सरकार के अधिकारियों और एजेंसियों पर लक्षित प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया. ‘2021 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हो गई थी. 2021 में भारत सरकार ने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा को बढ़ावा देकर ऐसी नीतियों का प्रचार किया, जिससे मुस्लिमों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.’  ‘(भारत) सरकार ने मौजूदा और नए कानूनों और देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण संरचनात्मक बदलावों के जरिये राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर हिंदू राष्ट्र की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा.’ भारत ने आयोग की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों की दशा पर उसकी टिप्पणियां पूर्वाग्रह से ग्रसित और पक्षपातपूर्ण हैं. गौरतलब है कि यूएससीआईआरएफ 2020 से भारत को इस सूची में शामिल करने के लिए सिफारिश कर रहा है. भारत के अलावा, अमेरिकी विभाग काफी हद तक नाइजीरिया और सीरिया के लिए भी यूएससीआईआरएफ की सिफारिश की अनदेखी कर रहा है. इन दोनों को की भी क्रमशः 2009 और 2014 से ‘विशेष चिंता वाले’ देशों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है. अक्टूबर 2019 में एशिया-पैसिफिक पर संयुक्त राष्ट्र का फॉरेन अफेयर्स सब-कमेटी ने अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद कश्मीर में व्यापक संचार प्रतिबंध और तत्कालीन नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ व्यापक विरोध की पृष्ठभूमि के खिलाफ भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक विवादास्पद सुनवाई की थी. यूएससीआईआरएफ ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग से कई अन्य देशों के साथ-साथ भारत को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में निर्दिष्ट करने के लिए कहा.रिपोर्ट के अनुसार, यूएससीआईआरएफ ने  अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसने ईरान और पाकिस्तान सहित 12 देशों को सीपीसी के रूप में फिर से नामित करने की सिफारिश की है. इसके अलावा इसने अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया, वियतनाम और भारत के लिए पांच अतिरिक्त सीपीसी का दर्जा देने की सिफारिश की. पहली बार यूएससीआईआरएफ ने श्रीलंका को ‘विशेष निगरानी सूची’ या एसडब्ल्यूएल में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है.

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