सांसों पर लगा है धुए का पहरा

सांसों पर लगा है धुए का पहरा
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सांसों पर लगा है धुए का पहरा,

मेरठ/NEW DELHI/एनजीटी और सुप्रीमकोर्ट की रोक के बावजूद टायर व पोलीथिन जलाने वाले कोल्हू हवा को जहरीली बनाने पर तुले हैं। इन पर कार्रवाई के बजाए या इन्हें बंद करने के बजाए अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण करने के नाम पर स्कूलों को बंद कराने पर तुले हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन दिनों हवा बुरी तरह जहरीली बनी हुई है, लेकिन जिन कृत्यों से हवा जहरीली हो रही है, उस ओर ध्यान जाता दिखाई नहीं दे रहा है। मेरठ और आसपास के जनपदों के तमाम कोल्हू की भट्टी दिन रात दहकती है। ज्यादातर में इसको दहकाने के लिए टायर व पोलीथिन की पन्नी जलायी जा रही है। इससे आसपास के वायु मंडल घुटन हो गई है साथ ही इनसे निकले वाला धुंआ हवा को जहरीला बना रहा है। लेकिन ऐसे कोल्हुओ पर ध्यान देने के बजाए यहां के अफसर स्कूलों को बंद कराने पर तुले हुए हैं। अनेक अभिभावकों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर सवाल किया कि स्कूलों में कौन सा प्रदूषण फैल रहा है। वहां ना तो क्लास में धूल उड़ती है और न ही स्कूल परिसर में कहीं धुंआ नजर आता है। वहां तो साफ-सफाई व हाइजिन का पूरा ध्यान रखा जाता है।
बद से बदत्तर हालत है बना दी
अनेक स्थानों पर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिना अनुमति लिए ही दर्जनों कोल्हू का संचालन शुरू हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइड लाइन के बाद भी इन कोल्हू में मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। यहां गुड़ बनाने के लिए खोई की जगह धड़ल्ले से पॉलिथीन और रबड़ जलाई जा रही है। क्षेत्र में अलग अलग स्थानों पर खोले गए कोल्हू की चिमनी से निकल रहा धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषित वायु से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अफसर जानकर भी अंजान बने हुए हैं। एनजीटी के आदेश के बाद गाजियाबाद, दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण को कम करने के लिए कवायद की जा रही है, लेकिन क्षेत्र में बड़ी संख्या में संचालित कोल्हू भी वायु प्रदूषण फैला रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि कुछ कोल्हू में ईंधन के तौर पर पुराने टायरों का इस्तेमाल किया जाता है, इसका जहरीला धुआं ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। लगभग सौ से अधिक गन्ना कोल्हू वर्तमान में चल रहे हैं। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएं से क्षेत्र में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ रहा है। गन्ना कोल्हू होने के कारण यहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। एनजीटी ने आदेश जारी किए हैं, लेकिन कोल्हू पर सब बेअसर है। प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। शामली के मुल्हेडा के समीप ग्रामीण मनोज, ओमवीर सिंह, सोनू, दीपक, बब्बलू आदि ने बताया कि क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। एनजीटी को क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैला रहे कोल्हू पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। कोल्हू में ईंधन के लिए खोई या सूखी पत्तियां जलाई जाती हैं, लेकिन ईंधन की खपत अधिक होने के कारण कोल्हू में पुराने टायर भी डाल दिए जाते हैं। इससे अधिक वायु प्रदूषण फैलता है। कोल्हू में ईंधन के लिए खोई या सूखी पत्तियां जलाई जाती हैं, लेकिन ईंधन की खपत अधिक होने के कारण कोल्हू में पुराने टायर और वेस्ट प्लास्टिक भी डाल दिए जाते हैं। इससे अधिक वायु प्रदूषण फैलता है।
इसके चलते ग्रामीणों की सेहत को नुकसान के साथ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। वहीं अफसर चुप्पी साधे बैठे हैं।
प्रतिबंध के हैं आदेश
केंद्र सरकार ने पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन मेरठ से शामली तक की बात करें तो हाइवे के दोनों ओर तमाम कोल्हुओं पर टायर व पोलीथिन की पन्नी जलती नजर आयीं। इनके आसपास सांस लेना भी दुश्वर हो रहा था। आसमान काले धुंऐ से भरा हुआ नजर आया। यहां करीब सभी कोल्हू पर पॉलिथीन का प्रयोग हो रहा है। इसके अलावा जलालपुर, इंचौली, नंगली ईसा, बहसूमा बाईपास, खरखौदा के पांची, भावनपुर के मोरना, कस्तला मार्ग आदि पर पॉलिथीन प्रयोग की जा रही है।
ये है कोल्हू की स्थिति
जनपद की बात करें तो यहां करीब 8-9 हजार छोटे बडेÞ कोल्हू चल रहे हैं। मेरठ मंडल में यह संख्या 24 से 26 हजार के बीच है। पश्चिम उप्र में 65 से 70 हजार है। सबसे ज्यादा कोल्हू मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, बिजनौर, हापुड़ जनपदों में चल रहे हैं।
हिदायतों का पालन कराने में अफसर नहीं गंभीर
– कोल्हू संचालक को बड़ी चिमनी लगानी होगी।
– पॉलिथीन, रबड़ व प्लास्टिक जलाने पर तत्काल रोक।
– मानकों की अनदेखी करने पर कोल्हू संचालक पर कार्रवाई हो।
– ईंधन के रुप में खोई का प्रयोग किया जाए, प्रदूषण नहीं होना चाहिए।Ñ
– प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेकर है जरूरी, लेकिन बिन अनुमति के है चल रहे।
वर्जन-
कोल्हू संचालक गाइड लाइन का पालन करें। खोई की जगह पॉलिथीन या रबड़ का प्रयोग न करें। ऊंची चिमनी लगाकर आसपास प्रदूषण होने से रोकें। यदि कोल्हू संचालक नियमों का पालन नहीं करेंगे तो निरीक्षण कर कार्रवाई की जाएगी। -भुवन प्रकाश- क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

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