महंगी खरीद कर बेच रहे हैं सस्ती

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महंगी खरीद कर बेच रहे हैं सस्ती,

पावर में घाटे के लिए सरकार है जिम्मेदार

मेरठ/सूबे में बिजली महकमे के निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारियों व सरकार के बीच अवरोध फिलहाल टूटता नजर नहीं आ रहा है। मेरठ समेत पीवीवीएनएल के तमाम जनपदों में विरोध प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर सभी जिला और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किए गए।
संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों इं., इं निशान्त त्यागी, इ.प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दिलमणि, मांगेराम, दीपक कश्यप, प्रदीप दरोगा, भूपेंद्र, कासिफ आदि विक्टोरिया पार्क ऊर्जा भवन पर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि निजीकरण पूरे देश में एक विफल प्रयोग है। यदि उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में 1993 में ग्रेटर नोएडा का निजीकरण किया गया था और 2010 में आगरा शहर का निजीकरण किया गया था। इन दोनों शहरों के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को कितना घाटा हुआ और आम जनता को कितनी तकलीफ हुई इसका खुलासा श्वेत पत्र द्वारा पावर कारपोरेशन को आम जनता के सामने जारी करना चाहिए।  संघर्ष समिति ने कहा की आगरा में वर्ष 2023 -24 में पावर कॉरपोरेशन ने 5 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर आगरा में टोरेंट कंपनी को 04 रुपए 36 पैसे में बेचा। इससे वर्ष 2023-24 में पॉवर कारपोरेशन को 275 करोड रुपए का नुकसान हुआ। विगत 14 वर्षों में पॉवर कारपोरेशन को आगरा के निजीकरण से 2434 करोड रुपए का नुकसान हो चुका है। पावर कारपोरेशन को आगरा के निजीकरण से प्रतिवर्ष 1000 करोड रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है।  1993 में जब ग्रेटर नोएडा का विद्युत वितरण निजी कंपनी को दिया गया था तो यह एक बड़ी शर्त थी कि निजी कंपनी 54 महीने में अपना बिजली उत्पादन घर लगाएगी। नोएडा पावर कंपनी ने आज तक एक मेगा वाट का भी बिजली घर नहीं लगाया।
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