कैंट बोर्ड: 2023 खतरे की आहट, पूरे शहर को नए साल यानि 2023 की आमद का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन जानकारों की मानें तो मेरठ कैंट बोर्ड के कुछ अफसरों के लिए नया साल यानि 2023 उन मुसीबतों को पिटारे के साथ आ रहा है, जिसके लिए ये अफसर खुद जिम्मेदार हैं या जिनके पीछे कैंट बोर्ड के अफसरों की उनकी खुद की कारगुजारियां जिम्मेदार हैं। यदि मैनेज नहीं कर सके तो आने वाला साल कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन हेड यानि एई पीयूष गौतम के लिए रिवर्स गेयर साबित हो सकता है। जेई से एई की पोस्ट पर जिस प्रकार से तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर उनका प्रमोशन किया गया और जिस शर्त के साथ यानि प्रत्येक तीन माह में इफिशिऐसी रिपोर्ट भेजे जाने की हिदायत दी गयी थी, उस पर अमल नहीं किया, जिसके चलते रिवर्स गेयर की की आहट सुनाई दे रही है। आने वाला साल कैंट बोर्ड मेरठ के कई अफसरों का हिसाब किताब चुकता करने के मूड से आता नजर आ रहा है। कई मामलों में दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है। ये तमाम वो मामले हैं जिनमें कुछ अफसरों की अवैध निर्माण व सरकारी जमीन पर कब्जों सरीखे मामलों में जिम्मेदारी भी तय की जा सकती है। जहां तक अवैध निर्माण मामलों की बात है तो कैंट बोर्ड मेरठ का ट्रेक रिकार्ड देश भर की सभी 62 छावनियों में कैसा है, इसको बार-बार बताने की जरूरत नहीं है। अवैध निर्माण व भारत सरकार की जमीन पर कब्जों को लेकर देश भर की छावनियों में मेरठ कैंट बोर्ड का ट्रेक रिकार्ड रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ अधिकारियों के पिछले दिनों लिए गए कुछ सख्त फैसलों को देखकर ही लगाया जा सकता है। जिसके चलते डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव मेरठ जांच को आए। उन्होंने बाउंड्री रोड बंगला 22 बी में होटल के अवैध निर्माण, 22बी को ट्रेड लाइसेंस, मछेरान स्थित भारत सरकार की जमीन का पार्क जिस पर खुद डीएन यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान बुल्डोजर चलावाया था वहां दोबारा अवैध कब्जे व मीट मार्केट सरीखे हैं।