कैंट बोर्ड: भाजपा तक 50 लाख की तपिश

जीओसी पर भारी बोर्ड की कारगुजारी
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कैंट बोर्ड: भाजपा तक 50 लाख की तपिश, लालकुर्ती इलाके में चार खोखों का सौदा कथित रूप से पचास लाख में किए जाने की आंच अब भाजपा के अंदरूनी संगठन के कुछ खास लोगों तक जा पहुंची है। हालांकि ऑन दाॅ रिकार्ड कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं, लेकिन ऑफ दो रिकार्ड भाजपा के तमाम बड़े भाजपाई लालकुर्ती में नैय्यर संस के समीप चार खोखों का सौदा पचास लाख में किए जाने की चर्चाओं एक दूसरे से चटखारे ले-लेकर कर रहे हैं। भाजपा तक इस कांड़ की तपिश कैसे पहुंची, अब इसकी क्रॉनालॉजी समझ लीजिए। बोर्ड में मनोनीत सदस्य भाजपा के, भंड़ा फोड़ या कहें आरोप भाजपा के ही एक एक्टिवस्ट कार्यकर्ता पुनीत शर्मा ने लगाए। केवल आरोप ही नहीं लगाए बल्कि इन आरोपों को लेकर सीईओ मेरठ कैंट बोर्ड एक पत्र भी लिखा, जिसमें कैंट बोर्ड के राजस्व निरीक्षक हितेश व अनुभाग हेड किरन बाला पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। साथ ही कैंट बोर्ड प्रशासन से मामले की जांच कराकर कार्रवाई का आग्रह किया है। इस कारगुजारी की शिकायत डीजी डिफैंस को भी भेजी गयी है। अब आ जाइए भाजपा की तपिश की क्रॉनालॉजी पर कैंट बाेर्ड की यदि बात की जाए तो उस पर पहले भी भाजपा का कब्जा था और आज भी निर्वाचित सदस्य भाजपा का हैं। इसलिए भाजपा के संगठन के कर्ताधर्ताओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उठने भी चाहिए, क्योंकि मेरठ में उच्च पदस्थ सभी भाजपा के हैं। सवाल पूछा जा रहा है जब भाजपा ही भाजपा है तो जिम्मेदार कौन। एक बात और वो यह रैपिड रेल प्रोजेक्ट के चलते लालकुर्ती के अनेक व्यापारी उजाड़े जा रहे हैं। यदि कैंट बाेर्ड प्रशासन को खोखे ही रखवाने थे तो जिनको उजाड़ा जा रहा है, पहले उन्हें मौका दिया जाना चाहिए था। लोगों का कहना है कि यदि बोर्ड अफसरों को मोटी रकम ही चाहिए थी तो उजाड़े गए व्यापारियों से ही बात कर लेते। सालों से यहां कारोबार कर रहे व्यापारी से मांगते तो पैसा तो वो भी मुंह मांगा दे देते और दामन भी दागदार न होता। ये भी छोड़िये भ्रष्टचार पर मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति का क्या या फिर भ्रष्टचार के खिलाफ तमाम बातें सिर्फ बातें हैं और बातों का क्या।

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